लो कॉस्ट ऑटोमेशन से प्रोडक्शन ग्रोथ की ओर कंपनियां
विश्व टेक्नोलॉजी में तेजी से आ रहे बदलावों का असर भारतीय उद्योगों पर भी दिख रहा है। इसको लेकर कंपनियों में सजगता तो आई है लेकिन भारी भरकम इनवेस्टमेंट की बजाय कंपनियों का रुख लो कॉस्ट ऑटोमेशन की ओर रहता है।
By Edited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 06:00 AM (IST)
जासं, लुधियाना : विश्व टेक्नोलॉजी में तेजी से आ रहे बदलावों का असर भारतीय उद्योगों पर भी दिख रहा है। इसको लेकर कंपनियों में सजगता तो आई है लेकिन भारी भरकम इनवेस्टमेंट की बजाय कंपनियों का रुख लो कॉस्ट ऑटोमेशन की ओर रहता है। इसे देखते हुए मशीन निर्माता कंपनिया भी भारत में मेक इन इंडिया लो कॉस्ट ऑटोमेशन पर फोकस कर रही हैं। इसकी झलक शनिवार को चंडीगढ़ रोड स्थित ग्लाडा ग्राउंड में लगे मैक्मा एक्सपो में देखने को मिली। वहा कंपनियों की ओर से छोटी इनवेस्टमेंट से बड़े अपग्रेडेशन वाले उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इसमें लेबर की जरूरतों को कम करने के साथ-साथ एक्यूरेसी पर भी फोकस किया जा रहा है ताकि विश्व बाजार के लिए भारतीय कंपनिया तैयार हो सकें। वहां गैदू इलेक्ट्रिकल प्राइवेट लिमिटेड ने वेल्डिंग के लिए नई तकनीक की मशीन प्रदर्शित की है। एमडी मोहन सिंह ने बताया कि इस मशीन से 20 लाख की रोबोट मशीन का काम लिया जा सकता है। इसकी कीमत ढाई लाख रुपये है। इसके साथ ही यह चार लोगों का काम अकेले कर सकती है। दस लोगों का काम करती है पैकेजिंग मशीन सी पैक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पैकेजिंग के लिए कंप्लीट सॉल्यूशस उपलब्ध करवाए गए हैं। इसमें एक मशीन दस लोगों का काम कर सकती है। इसकी कॉस्टिंग को लेबर के मुकाबले दो साल में ही पूरा किया जा सकता है। सीलर मशीन हर तरह के उत्पाद की बेहतर पैकेजिंग कर सकती है। उत्पाद हैंडलिंग के लिए मोबाइल रोबोट ओमरोन ऑटोमेशन की ओर से इंडस्ट्रियल फिक्स एवं मोबाइल रोबोट प्रस्तुत किए गए हैं। यह रोबोट हाई स्पीड हैं व ऑटो मोड पर काम करते हैं। यह उत्पाद हैंडलिंग के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। इससे असैंबली का काम भी किया जा सकता है। इसमें एप्लीकेशन सेटअप कर रोबोट मोबाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बिना मैनुअल मशीन खुद वर्क स्टेशन से सामान हैंडलिंग करती रहेगी। ऑटोमेशन के बिना तरक्की संभव नहीं: आहूजा सीआइसीयू के प्रधान उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि ऑटोमेशन आज समय की आवश्यकता है। इसके बिना तरक्की संभव नहीं। अब एमएसएमई के लिए लो कॉस्ट ऑटोमेशन एक अहम पहलु है। इसके माध्यम से कंपनिया लेबर शार्टेज की समस्या के साथ-साथ ज्यादा प्रोडक्शन से इनपुट कॉस्ट को नियंत्रित कर विश्व बाजार में पैर पसार सकती हैं, इसलिए अब मशीन टूल कंपनिया लो कॉस्ट पर फोकस कर रहीं हैं।
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