अवैध निर्माण पर नपेंगे इंस्पेक्टर से लेकर कमिश्नर, कमेटी ने मंत्री को भेजी रिपोर्ट Ludhiana News
कमेटी सदस्यों ने अलग-अलग रेट पर सीएलयू व ईडीसी वसूलने की रिपोर्ट बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों से तलब की थी लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
लुधियाना, जेएनएन। बिल्डिंग ब्रांच की कारगुजारी हमेशा से चर्चा में रही है। बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर एमटीपी पर अवैध निर्माणों को शय देने के आरोप लगते रहे हैं। शहर में अवैध निर्माण होते रहे और निगम को चूना लगता रहा। अब भी अफसर गंभीर नहीं हैं। निगम कमिश्नर भी बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों पर नकेल कसने में नाकाम रही हैं। निगम हाउस की तरफ से चैंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) और एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेस तय करने के लिए बनी कमेटी ने शहर में हो रहे अवैध निर्माण के लिए बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर निगम कमिश्नर तक को जिम्मेदार ठहराया है। मंगलवार को जोन डी में हुई बैठक में न तो बिल्डिंग ब्रांच के अफसर कमेटी सदस्यों का सही जवाब दे पाए और न ही निगम कमिश्नर। कमेटी सदस्यों ने अलग-अलग रेट पर सीएलयू व ईडीसी वसूलने की रिपोर्ट बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों से तलब की थी लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। अफसरों की लापरवाही से निगम को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अब कमेटी ने अफसरों की लापरवाही की रिपोर्ट बनाकर स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा को भेज दी है और साथ ही इंस्पेक्टर से लेकर निगम कमिश्नर तक सभी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर दी। कमेटी की इस सिफारिश के बाद अफसरों का नपना तय है। बैठक की शुरुआत में कमेटी सदस्य पार्षद ममता आशु ने अफसरों से सीएलयू और ईडीसी वसूले जाने की रिपोर्ट मांगी, लेकिन अफसरों के पास पूरी रिपोर्ट नहीं थी। कमेटी सदस्यों ने कहा कि जब शहर में इतनी ज्यादा इमारतें बनी हैं और उनके चालान हुए हैं तो उनसे सीएलयू चार्जेस क्यों नहीं वसूले गए। इसके अलावा कमेटी ने हाउस की तरफ से रिजेक्ट पॉलिसी के हिसाब से सीएलयू व ईडीसी वसूलने पर भी अफसरों की खिंचाई की।
कार्रवाई के लिए लिखा गया: ममता आशु
कमेटी की सदस्य ममता आशु ने कहा कि अफसरों की लापरवाही की रिपोर्ट और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश को बैठक की प्रोसिडिंग में शामिल कर दिया है। इसमें बिल्डिंग इंसपेक्टर से लेकर निगम कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है। प्रोसीडिंग निगम कमिश्नर के जरिए स्थानीय निकाय मंत्री को भेज दी है। बैठक में अफसरों ने कहा कि कहीं पर भी नियमों की अनदेखी नहीं की और नियमों के अनुसार की कार्रवाई की गई।
कमेटी सदस्य बोले, इमारत बनते समय अफसरों को नहीं दिखती
बैठक में शहर में बन रही अवैध इमारतों पर की जा रही कार्रवाई का मुद्दा उठा। कमेटी के सदस्य डॉ. जय प्रकाश ने अफसरों से कहा कि किसी भी बिल्डिंग के तैयार होने में एक साल का वक्त लग जाता है। एक साल तक अफसरों को वह अवैध निर्माणाधीन इमारात क्यों नहीं दिखाई देती। जब इमारत पूरी बन जाती है तब ही वह कार्रवाई करने क्यों जाते हैं? उन्होंने कहा कि इमारत का मालिक इसमें दोषी है लेकिन उससे ज्यादा दोषी बिल्डिंग ब्रांच के अफसर हैं जिन्होंने निर्माण कार्य होने दिया।
समझाई प्रक्रिया : पहले नोटिस, फिर चालान के साथ असेसमेंट करें
कमेटी ने कमिश्नर से कहा कि किसी भी अवैध इमारत पर कार्रवाई करनी है तो उसे पहले नोटिस दिया जाए। बिल्डिंग का चालान करने के साथ उनकी असेसमेंट भी की जाए। बिल्डिंग पर कार्रवाई के साथ साथ संबंधित इलाके के इंस्पेक्टर व एटीपी पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान भी हो रहा है। अवैध निर्माण को पहले फेज में रोकना होगा। फिरोजगांधी मार्केट का कांप्लेक्स हैरानी:
बिना जांच एक ही दिन में नक्शा पास, रसीद में भी घपला
ममता आशु ने बताया कि फिरोजगांधी मार्केट उनके वार्ड में है। यहां पर एक दस मंजिला कांप्लेक्स बनाया गया है। इसके निर्माण में भी धांधलियां सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि नक्शा पास करने में भी अफसरों ने इतनी तेजी दिखाई और किसी ने भी जांच नहीं की। उन्होंने बताया कि बिल्डिंग ब्रांच से जब इस कांप्लेक्स की फाइल मांगी गई तो उसमें यह बात सामने आई कि निगम कमिश्नर ने भी एक दिन में ही साइन करके नक्शा पास कर दिया। ममता ने बताया कि नक्शा पास की फाइल में 3.78 लाख रुपये फीस जमा करवाई गई है जबकि इसकी फीस 32 से 33 लाख रुपये बनती है।
एमटीपी का जवाब : मालिक ने 18 लाख दिए पर रसीदें नहीं लगाईं
बैठक में एमटीपी मोनिका आनंद ने कहा कि कांप्लेक्स के मालिक ने नौ-नौ लाख रुपये की दो और रसीदें कटवाई हैं, लेकिन एमटीपी ने उसकी फाइल पर यह दोनों चेकों की डिटेल नहीं लिखी और न ही उस पर रसीद लगाई गई। उन्होंने बताया कि इस मामले में भी एमटीपी, असिस्टेंट कमिश्नर व निगम कमिश्नर कोई जवाब नहीं दे पाए। इस मामले में भी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
एक साल में सील की गई इमारतों का रिकॉर्ड तलब
कमेटी ने बैठक में अफसरों को पूछा कि जब निगम किसी इमारत को सील करता है तो उसकी सील खुलवाने के लिए क्या मापदंड अपनाए जाते हैं? कमेटी सदस्यों का सवाल सुनकर अफसर सकपका गए। सदस्यों ने पूछा कि अगर सील की गई बिल्डिंगों के मालिकों की तरफ से पैसे जमा करवाने के बाद सील खुली हैं तो एक साल की रिपोर्ट दी जाए कि कौन कौन सी इमारतें सील हुई और उन्होंने कितने पैसे जमा करवाए। एडिशनल कमिश्नर को जांच कमेटी ने इस मामले में एडिशनल कमिश्नर ऋषिपाल सिंह को जांच सौंपी है और कहा है कि एक दिन में पूरी रिपोर्ट लेकर मेयर को सौंपी जाए। अगर इसमें कोई खामियां पाई जाती हैं तो अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।