कॉलोनाइजरों को करानी होगी कॉलोनियों की गूगल टैगिंग
कॉलोनी रेगुलर करवाने के लिए कॉलोनाइजर हेराफेरी नहीं कर सकेंगे। कॉलोनाइजर इंडस्ट्रियल जोन, कॉमर्शियल और प्रतिबंधित जोन में बनी कॉलोनियों को रेजिडेंशियल एरिया में नहीं दिखा सकेंगे।
राजेश भट्ट, लुधियाना : कॉलोनी रेगुलर करवाने के लिए कॉलोनाइजर हेराफेरी नहीं कर सकेंगे। कॉलोनाइजर इंडस्ट्रियल जोन, कॉमर्शियल और प्रतिबंधित जोन में बनी कॉलोनियों को रेजिडेंशियल एरिया में नहीं दिखा सकेंगे। कॉलोनी जिस क्षेत्र में बनी है, कॉलोनाइजर को आवेदन फार्म पर वहीं का लिखना होगा। कॉलोनाइजर ने अगर गलत जानकारी दी तो गूगल मैप उनकी चोरी पकड़ लेगा। दरअसल सरकार ने कॉलोनाइजरों को आवेदन फॉर्म के साथ कॉलोनी का गूगल मैप और गूगल टैगिंग समेत प्लान मांग लिया है। पंजाब सरकार ने कॉलोनी रेगुलर करने के लिए जो पॉलिसी जारी की है उसके मुताबिक कॉलोनाइजरों को अपनी कॉलोनियों की गूगल टैगिंग करवानी होगी। इससे अफसर दफ्तरों में बैठक कर ही देख सकेंगे कि कॉलोनियां किस एरिया में बनी हैं। कॉलोनी में पार्क, ट्यूबवेल व अन्य चीजों के लिए जगह छोड़ी गई है या नहीं। इसके अलावा आवेदन फार्म में कॉलोनाइजरों को एक स्वघोषणा फार्म देना है, जिसमें उन्हें बताना होगा कि कॉलोनी में कितने प्लाट बन चुके हैं। गूगल टैगिंग के जरिए दफ्तर बैठे ही यह भी पता चल सकेगा कि कॉलोनी में कितने फीसदी मकान बन चुके हैं। रोड, पार्क व पब्लिक यूटिलिटी एरिया की करनी होगी टैगिंग
नई पॉलिसी के मुताबिक कॉलोनाइजरों को कॉलोनी में पार्क, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ट्यूबवेल व अन्य पब्लिक यूटिलिटी के लिए जगह छोड़नी है। कॉलोनी की गूगल टैगिंग करते वक्त कॉलोनाइजर को कॉलोनी के गूगल मैप में एक-एक चीज की टैगिंग करनी होगी, ताकि ऑनलाइन चेक करने पर यह पता चल सके कि कॉलोनी में जगह छोड़ी है या नहीं। मास्टर प्लान के किस एरिया में है कॉलोनी
मास्टर प्लान के हिसाब से इंडस्ट्रियल जोन, कॉमर्शियल जोन व प्रतिबंधित जोन की कॉलोनियों को रेगुलर करने के लिए अलग शर्ते हैं। ऐसे में गूगल टैगिंग के जरिए अफसरों को यह पता चल जाएगा कि कॉलोनी किस जोन में बनी है। इसके अलावा नगर निगम या ग्रेटर लुधियाना अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी के अफसरों को कॉलोनियों की वेरिफिकेशन करनी भी आसान रहेगी।
कॉलोनाइजरों को हिदायतें जारी की गई हैं कि वह अपनी-अपनी कॉलोनियों की गूगल टैगिंग करवाएं और आवेदन फार्म के साथ इसकी जानकारी जरूर दें। इससे कॉलोनियों की वेरिफिकेशन में आसानी रहेगी।
विजय कुमार, एटीपी, नगर निगम, जोन डी