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Cancer Awareness Month: अब कैंसर की चपेट में आ रहे बच्चे, लुधियाना में डेढ़ साल में 11 केस आए सामने

Cancer Awareness Month बच्चों में किसी भी उम्र में कैंसर हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामले तीन से चार साल की उम्र में आ रहे हैं। बच्चों में किडनी कैंसर नवर्स कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर बोन कैंसर अधिक देखने को मिल रहा है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 10:38 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 10:38 AM (IST)
Cancer Awareness Month: अब कैंसर की चपेट में आ रहे बच्चे, लुधियाना में डेढ़ साल में 11 केस आए सामने
छह माह की बच्ची की किडनी में कैंसर डायग्नोस, समय पर पता लगने से हुआ सफल इलाज। (सांकेतिक तस्वीर)

जासं, लुधियाना। Cancer Awareness Month: कैंसर का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। बड़े ही नहीं, अब बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। शहर के सीएमसी अस्पताल में हाल ही में एक छह महीने की बच्ची की किडनी में कैंसर डायग्नोस हुआ। समय पर बीमारी की पहचान और फिर सर्जरी व कीमोथैरेपी से बच्ची अब पूरी तरह से ठीक है। सीएमसी अस्पताल के डिपार्टमेंट आफ पीडियाटिक सर्जरी के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल माइकल कहते हैं कि उनके पास डेढ़ साल में कैंसर पीड़ित 11 बच्चे आ चुके हैं। कई बच्चों को जन्म से ही कैंसर था तो कइयों को बाद में कैंसर हुआ।

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बच्चों में किसी भी उम्र में कैंसर हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामले तीन से चार साल की उम्र में आ रहे हैं। बच्चों में किडनी कैंसर, नवर्स कैंसर, रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर, बोन कैंसर अधिक देखने को मिल रहा है। इनमें छोटी लड़कियों में ओवरी का कैंसर ज्यादा पाया जा रहा है। किडनी में पैदा होते हुए कैंसर हो सकता है। इसमें बच्चे के पेट में कुछ सख्त महसूस होता है और पेट फूल जाता है। पेशाब में खून आने लगता है।

इसके अलावा नवर्स कैंसर या न्यूरो प्लास्थमा कैंसर में बच्चे का वजन तेजी से कम होता है। उसे कई-कई दिन तक लगातार बुखार रहता और भूख कम हो जाती है। इसी तरह रेटिनोब्लास्टोमा में आंखों की पुतली में सफेद रंग के धब्बे दिखाई दते है, जबकि बोन कैंसर में हडिडयों में दर्द और सूजन रहती है। यह शरीर के किसी भी अंग से शुरू होकर हडिडयों में फैलता है।

हालांकि अभी तक बच्चों में कैंसर के सही कारणों का पता नहीं लग पाया है, लेकिन एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है। अच्छी बात यह है कि बच्चों के कैंसर के ट्रीटमेंट के परिणाम अच्छे हैं। शुरुआती स्तर पर ही कैंसर की बीमारी को पहचान कर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाए तो 80 प्रतिशत बच्चे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

कीमोथैरेपी से बच्चों को नुकसान नहीं

डाक्टर बताते हैं कि बहुत से लोगों को लगता है कि बच्चों को कैंसर नहीं हो सकता। जब हम अभिभावकों को कहते हैं कि उनके बच्चे को कैंसर डायग्नोस हुआ है तो वह मानने को तैयार नहीं होते, जबकि लोगों को समझना होगा कि कैंसर की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। कई लोग बच्चों के इलाज के लिए इसलिए भी आगे नहीं आते, क्योंकि उन्हें लगता है कि कीमोथैरेपी से बच्चे को तकलीफ होगी, जबकि ऐसा नहीं है। थैरेपी की कम डोज से बच्चों को कोई नुकसान नहीं होता है।

पीएम व सीएम फंड से मिलता है सहयोग

डा. विशाल कहते हैं कि एक अच्छी बात यह है कि अब कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए फाइनांशियल प्राब्लम नहीं आ रही। सीएम फंड, पीएम फंड से इलाज के लिए फंड मिल जाता है। इसके अलावा केन किड्स एनजीओ भी कीमोथैरेपी की दवाएं उपलब्ध करवाती है। डा. विशाल कहते हैं कि सितंबर को कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जा रहा है। ऐसे में सीएमसी अस्पताल की तरफ से बच्चों में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखने के लिए अवेयरनेस की जा रही है।

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