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लुधियाना में बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी रश्मि बोलीं- अभिभावकों को बदलनी होगी मानसिकता, बच्चों को काम पर नहीं स्कूल भेजें

लुधियाना जिले की बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी रश्मि से दैनिक जागरण ने विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों और उनके सामने आ रही समस्याओं को लेकर बातचीत की। रशिम ने कहा कि अभिभावकों की मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 10:29 AM (IST)
लुधियाना में बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी रश्मि बोलीं- अभिभावकों को बदलनी होगी मानसिकता, बच्चों को काम पर नहीं स्कूल भेजें
दैनिक जागरण ने लुधियाना की बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी रश्मि से बातचीत की।

लुधियाना [राजेश भट्ट]। समाज में जिस तरह बच्चों के अधिकारों का हनन होता रहा है और उन्हें पढ़ाने के बजाए जबरन काम करवाने के मामले बढ़े हैं, इससे सरकार के सामने कई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। प्रदेश, जिला और ब्लाक स्तर पर बाल अधिकार सुरक्षा अफसरों की तैनाती की गई है। इसके बावजूद बाल मजदूरी, बच्चों से भीख मंगवाना और उन पर होने वाले अत्याचारों में कोई खास कमी नहीं आई है। अधिकारी खुद मानते हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी बहुत काम किया जाना बाकी है। अभिभावकों की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। दैनिक जागरण ने लुधियाना जिले की बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी रश्मि से विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों और उनके सामने आ रही समस्याओं को लेकर बातचीत की।

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रश्मि का कहना है कि लुधियाना एक औद्योगिक शहर है। यहां घर-घर में फैक्ट्रियां लगी हैं। ठेकेदार बाहरी राज्यों से बच्चों को लेकर आते हैं और उनसे फैक्ट्रियों में कम पैसे देकर मजदूरी करवा रहे हैं। जब भी उन्हें सूचना मिलती है तो जिला टास्क फोर्स के साथ मिलकर वह छापामारी करते हैं  और उन्हें मुक्त करवाया जाता है। जब से उन्होंने बतौर जिला बाल अधिकार सुरक्षा अधिकारी पदभार संभाला है तब से 350 से अधिक बाल मजदूरों को मुक्त करवा चुकी हैं। लुधियाना जैसे शहर में बाल मजदूरी पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती है। यही नहीं गुमशुदा बच्चों को ढूंढऩे में भी मशक्कत करनी पड़ रही है। पुलिस और रेलवे पुलिस के विंग भी इस संबंध में काम कर रहे हैं।

उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा जरूर करें। उन्हें बाल मजदूरी और भीख मांगने से बचाएं। रश्मि बताती हैं कि पिछले कुछ समय से उनके पास स्कूलों में बाल अधिकारों के हनन की शिकायतें भी आने लगी हैं। इसमें से भी ज्यादातर शिकायतें फीस न देने पर स्कूल से निकालने जैसी होती हैं। ऐसी शिकायतों को स्कूल प्रिंसिपल के साथ बात करके हल करवाया जा रहा है। रश्मि कहती हैं कि समाज में कई बच्चे ऐसे होते हैं जो पढऩा चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पढ़ाई छोड़ देते हैं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। कई बच्चों की वह विभागीय तौर पर मदद करती हैं। कुछ बच्चों की मदद एनजीओ को साथ लेकर की जाती है।

बच्चों से मजबूरी या अनजाने में हो जाता है अपराध

बाल सुरक्षा अधिकारी रश्मी बताती हैं कि शिमलापुरी में उनके दफ्तर के साथ बाल सुधार गृह भी है। कोई बच्चा आपराधिक प्रवृति का नहीं होता है लेकिन किसी वक्त उससे मजबूरी या अनजाने में अपराध हो जाता है। कई बच्चों को सजा मिल जाती है। ऐसे बच्चों को समाज का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्हें कानूनी मदद भी मुहैया करवाई जाती है।

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