वीडियो वायरल: प्लीज अंकल हमें मां से बचा लो, रोजाना सुबह शाम पीटती है
प्लीज अंकल हमें हमारी मां से बचालो। वह रोजाना सुबह-शाम पीटती है। न खेलने देती है और न ही स्कूल भेजती है। घर से भी बाहर नहीं जाने देती।
जेएनएन, लुधियाना। प्लीज अंकल हमें हमारी मां से बचा लो। वह रोजाना सुबह-शाम पीटती है। न खेलने देती है और न ही स्कूल भेजती है। घर से भी बाहर नहीं जाने देती। यह बात मुंडिया एरिया की 14 वर्षीय माही और 11 वर्षीय दीवम ने एक वीडियो बना कर बताई है। वीडियो के जरिए दोनों बच्चों ने इलाका पार्षद सुरजीत सिंह राय से गुहार लगाई है कि उन्हें उनकी मां से बचाया जाए। फिलहाल यह वीडियो पूरे शहर में आग की तरह फैल गया है। लोगों ने अपनी संवेदनाएं जाहिर करते हुए उसे इंसाफ दिलाने की मांग की है।
बता दें कि महिला से बच्चे ही नहीं बल्कि मोहल्ले के लोग भी परेशान हैं। दरअसल सिकंदर नगर की महिला अनु का दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। उसने पांच साल पहले अपने पति को तलाक दे दिया था और बच्चों को लेकर दूसरे पति के साथ रहती है। मोहल्ले वालों ने जब पूरी दास्तां उनके असल पिता को बताई तो उसने भी दिल दहलाने वाला जवाब देते हुए कह दिया, मैंने तो पांच साल पहले पत्नी को तलाक दे दिया था, अब चाहे बच्चों को जहर देकर मार दो, जबकि इन सभी बातों से दूर बच्चे पिता के पास जाने की जिद कर रहे हैं।
महिला से परेशान हैं मोहल्ला
निवासी सिकंदर नगर की महिलाओं का कहना है महिला ठीक रहती है, मगर कभी-कभी बच्चों को पीटने लगती है। अगर कोई उन्हें छुड़ाने जाता है तो वह उनसे गाली-गलौच करती है और कपड़े तक उतार देती है। यही नहीं वह उन से भी धक्का-मुक्की करती है। पुलिस ने नहीं सुनी तो पड़ोसन ने बनवाई वीडियो मोहल्ले के लोग इस संबंधी कई बार पुलिस को बता चुके हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जिस कारण उनकी ओर से बच्चों से वीडियो बनवाई गई है, ताकि उनका दर्द पुलिस और पार्षद के समक्ष रखा जा सके।
बच्चों को पीटने से रोका तो की बदसलूकी
मोहल्ले की महिला राज रानी बताती हैं कि सुबह भी महिला बच्चों को पीट रही थी। जब उसे रोकना चाहा तो गालियां देने लगी। कंट्रोल रूम पर फोन कर पुलिस को सूचित किया गया तो मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने उसे वहां से हटा दिया। देर रात पुलिस ने बच्चों के नाना-नानी को बुलाया था, जिनके हवाले उन्हें किया जा रहा है। अदालत में पेश कर इलाज करवा सकती है पुलिस इसके लिए संविधान में प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति मानसिक संतुलन खो देता है और किसी के लिए खतरा बन जाता है तो उसे हिरासत में लेकर अदालत के जरिए इलाज के लिए किसी अस्पताल में भर्ती करवाया जा सकता है। या फिर उसे पागलखाने भी भेजा जा सकता है। जिम्मेदारी से भाग रही पुलिस
इस पूरे प्रकरण के दौरान पुलिस अपनी जिम्मेदारी से भागती नजर आ रही है। चौकी प्रभारी छुट्टी पर हैं। कार्यकारी प्रभारी एएसआइ सुरिंदर सिंह ने तो मामले से अनभिज्ञता जाहिर की है, जबकि ड्यूटी अफसर हवलदार पलविंदर सिंह का कहना है कि लोग चौकी आए थे। महिला का भाई उसे अपने साथ ले जाने को राजी हुआ है।