संतों की संस्कृति में चरित्र ही बनाता है सभ्य : डॉ. राजेंद्र मुनि
एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डॉ. राजेंद्र मुनि साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा हुई।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डॉ. राजेंद्र मुनि, साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा हुई। इसमें डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा, एक बार विदेशी ने संत से कहा कि आप अच्छे वस्त्र नहीं पहनते, तो आप कभी भी सभ्य नहीं बन सकते। इस पर संत का जवाब रहा कि आपकी संस्कृति में वस्त्र व्यक्ति को सभ्य बनाते हैं, पर हमारी संस्कृति चरित्र व्यक्ति को सभ्य बनाता है। उन्होंने कहा कि अगर आप गृहस्थ, शादीशुदा हैं तो घर में एक लड़की तो होनी ही चाहिए। लड़का न भी हो तो चलेगा। क्योंकि जिसके पास लड़की नहीं होती, उसके पास दिल नहीं होता। सुरेंद्र मुनि ने कहा कि आजकल हर ओर ज्ञान की बौछार हो रही है। वाट्सएप, फेसबुक, टीवी, सत्संग, मंदिर पर आपने देखा होगा कि कितना भी अच्छा ज्ञान हो, हम उसे जीवन में नहीं उतार पाते। बहुत अच्छी बातें सुनते हैं, पर कुछ समय बाद भूल जाते हैं और लाभ नहीं ले पाते। इंसान को ऊपर उठने के लिए जितना जरूरी ज्ञान है, उतना ही पात्र की साफ करना भी है। इससे पहले बुधवार को राजेंद्र मुनि ने कहा, मनुष्य तू इस संसार में रह रहा है, जीवन यात्राओं में चल रहा है। जब तू यात्रा करने निकला, साधु या श्रावक बनकर चला, लेकिन मार्ग में आने वाले शूलों और कंटीले झाड़-झखाड़ों से तुम्हारा यह जीवन क्षीद गया । वर्षभर की यात्रा के बाद आज तुझे कुछ देर के लिए पिछली यात्रा के बारे में सोचना चाहिए। आलोचना करनी चाहिए। कभी माता पिता, पति पत्नी या किसी साथी, पड़ोसी व अन्य किसी प्राणी के साथ लड़ाई झगड़ा या वैमनस्य में हिसा, चोरी, राग, द्वेष का कांटा लग गया हो, मन में कोई पाप चरण का कांटा या दोष लगा हो तो आज शांति से बैठकर सोच। उन कांटों को निकाल और मन को निर्मल बना।