ई-वे बिल को लेकर कारोबारी असमंजस में, साइट क्रैश हुई तो होगा नुकसान
ई-वे बिल अनिवार्य किए जाने से कारोबारी असमंजस में हैं। साइट क्रैश होने पर ट्रांसपोर्ट कंपनी को अधिक भाड़ा देना पड़ सकता है।
लुधियाना/जालंधर [मुनीश शर्मा/कमल किशोर]। ई-वे बिल अनिवार्य किए जाने से लुधियाना के कारोबारी असमंजस में हैं। क्योंकि बड़ी कीमतों के कारण थोड़ा सा माल पचास हजार से ऊपर हो जाता है। ऐसे में रोज पंजाब में लाखों रुपये के ई-वे बिल जनरेट करने पड़ेंगे। कारोबारियों की यह भी चिंता है कि सभी कारोबारी कंप्यूटर चलाने में निपुण नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त स्टाफ रखने से इनपुट कॉस्ट बढ़ेगी।
ज्यादातर कारोबारी प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर आश्रित रहते हैैं। ऐसे में ई-वे बिल लेट होने और बिजली चले जाने या साइट क्रैश होने पर ट्रांसपोर्ट कंपनी को अधिक भाड़ा देना पड़ सकता है। ई-वे बिल प्रणाली के अंतर्गत एक स्थान पर माल पहुंचाने के लिए समय निर्धारित किया गया है, ऐसे में व्हीकल के खराब होने की सूरत में भ्रष्टाचार होने की भी संभावना है।
मोबाइल एप से मिले ई-वे बिल काटने की सुविधा
फोपसिया के अध्यक्ष बदीश जिंदल के मुताबिक सरकार को चाहिए था कि ई-वे बिल का पूरी तरह सरलीकरण करें। इस समय मोबाइल टेक्नोलॉजी में एप के जरिए बिलिंग करने की सुविधा दी जाए, ताकि जो लोग कंप्यूटर नहीं चला सकते, वे सरल प्रक्रिया से ई-वे बिल जनरेट कर सकें। साथ ही साइट क्रैश होने की सूरत में लोगों को विभाग द्वारा इसका संदेश भेज देना चाहिए।
पचास हजार की लिमिट बेहद कम : अग्रवाल
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के सचिव मोहिंदर अग्रवाल के मुताबिक पचास हजार रुपये की ई-वे बिल की लिमिट बेहद कम है। इसको बढ़ाया जाना चाहिए। आज उत्पादों की कीमतें बेहद बढ़ चुकी हैं और पचास हजार रुपये की बिक्री आम है। ऐसे में इतने बिल काटे जाने से सर्वर की समस्या अक्सर बढ़ी रहेगी।
ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल के लिए तैयार
एकूरेट करियर के एमडी जनकराज गोयल के मुताबिक इंटर स्टेट कामयाब हो गया है। इंटरा स्टेट लागू होने पर सर्वर पर बोझ बढ़ेगा। विभाग को बेहतर सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। ट्रांसपोर्टर इसके लिए पूर्ण रूप से तैयार है।
31 मई को ट्रायल अवधि हो जाएगी खत्म, एक्साइज विभाग ने की तैयारियां
एक जून से ई-वे बिल सिस्टम शुरू हो रहा है। इंटर स्टेट कारोबार करने वाले कारोबारियों को ई-बिल भरना होगा। एक्साइज विभाग की ओर से एक अप्रैल से ई-वे बिल ट्रायल के तौर पर चल रहा था, जो 31 मई को खत्म हो जाएगा।
एक जून से शुरू हो रही व्यवस्था में दस किमी तक शहर के अंदर एक से दूसरे स्थान तक सामान पहुंचाने के लिए ई-वे बिल की जरूरत नहीं होगी। कारोबारियों को किसी प्रकार की दिक्कत पेश न आए, इसके लिए विभाग की ओर हेल्पडेस्क बनाए गए हैं। यहां दो ईटीओ ड्यूटी पर रहेंगे।
ई-वे बिल में लिखना होगा वाहन का नंबर
ई-वे बिल जनरेट करते समय जिस वाहन से सामान भेजा जा रहा है, उसका नंबर बिल में अंकित करना होगा। बिल जारी होने के बाद अगर वाहन खराब हो जाता है और दूसरे वाहन की जरूरत पड़ती है तो ट्रांसपोर्टर को बिल में बदले हुए वाहन का नंबर अपडेट करना होगा।
ई बिल जनरेट न करने वालों पर होगी कार्रवाई
असिस्टेंट स्टेट कमिश्नर (जीएसटी) बलबीर कौर का कहना है कि 1 अप्रैल से ट्रायल के तौर पर ई-वे बिल व्यवस्था शुरू है। 1 जून से ई-बिल लागू हो जाएगा। पचास हजार से अधिक सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने पर ई-वे बिल जनरेट करना होगा। जो व्यापारी ई-वे बिल जनरेट नहीं करता, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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