वाह! बड़े काम की है ये चीज, पशुओं में दूध भी बढ़ाती है और पाचन शक्ति भी
पंजाब में किसान जिस पराली को आग के हवाले करके राख में तबदील कर देते हैं, उसी पराली को अगर वह वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में पशुओं के लिए इस्तेमाल करें तो वह मुनाफा कमा सकते हैं।
लुधियाना [आशा मेहता]। पंजाब में किसान जिस पराली को आग के हवाले करके राख में तबदील कर देते हैं, उसी पराली को अगर वह वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में पशुओं के लिए इस्तेमाल करें तो वह मुनाफा कमा सकते हैं। खासकर, पशुपालन से जुड़े किसान। गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के पशु आहार विभाग के शोध में यह साबित हो चुका है कि पराली को यूरिया से ट्रीट करके तैयार किए गए पौष्टिक आहार को अगर दुधारू पशुओं को दिया जाता है, तो इससे पशुओं को कई फायदे होते हैं।
पशु आहार विभाग की प्रमुख डॉ. मंजू वाधवा के शोध में पाया गया है कि यूरिया को ट्रीट करके तैयार की गई पराली में छह से आठ फीसद कच्ची प्रोटीन, तीन से चार फीसद पाचनयोग्य प्रोटीन, रेशे की पाचन योग्य शक्ति 70 से 75 फीसद, कुल पाचन योग्य तत्व 50 से 55 फीसद तक हो जाती है। ऐसे में अगर यूरिया ट्रीटेड पराली को धातों के चूरे व विटामिन ए के साथ दुधारू पशुओं को दिया जाए तो इससे उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी होती हैं।
यहीं नहीं भैंसों के कट्टों पर किए शोध में साबित हुआ है कि यदि यूरिया से ट्रीटेड तूड़ी का प्रयोग सूखे मादे की खपत के अलावा अनेक जरूरी तत्वों की पाचन योग्य शक्ति को बढ़ा देती है। इस कारण खुराक की जैविक वैल्यू में अनट्रीटेड पराली युक्त खुराक के मुकाबले वृद्धि होती है। खुराक गुणवत्ता से पता लगा कि यूरिया ट्रीटेड पराली युक्त राशन में अनट्रीटेड पराली युक्त राशन की तुलना में कहीं अधिक पाचन योग्य तत्व और कम हजम होने योग्य प्रोटीन होते हैं।
अधिक खुराक तत्वों के कारण इसका प्रयोग करने से कट्टों के वजन में 167 ग्राम प्रति दिन के मुकाबले 250 ग्राम प्रति दिन बढ़ोतरी होती है। दुधारू पशुओं पर की गई खोज से पता लगा है कि आम पराली के मुकाबले इस पराली के प्रयोग से पशु अधिक दूध पैदा करते हैं और गर्भवती पशुओं के सूने के बाद कट्टे का वजन 2.7 किलो अधिक होता है। वह अधिक सूखा मादा और प्रोटीन खाते हैं और उनके दूध में तत्व भी अधिक होती है।
यूरिया ट्रीटेड पराली युक्त राशन खाने वाली भैंसें एक सूए का 1542 लीटर दूध देती हैं, जबकि अनट्रीटेड पराली खाने वाली भैंसें 1050 लीटर तक दूध देती हैं। ट्रीटेड पराली के साथ पशुओं की पैदावार व प्रजनन शक्ति दोनों में ही सुधार होता है। यूरिया ट्रीटेड पराली दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि करने, प्रजनन शक्ति में सुधार व बढिय़ा सेहत बनाएं रखने में सक्षम है।
इस वजह से पराली खिलाने से परहेज करते थे पशुपालक
डॉ. मंजू वाधवा के मुताबिक पंजाब में 1980 से पहले तक पशुओं को पराली चारे के तौर पर खिलाई जाती थी, लेकिन 80 के दशक में पराली की जांच से पता लगा कि इसमें सैलिनियम 2.14 पीपीएम है, जबकि गेहूं तूड़ी में इसकी मात्रा सिर्फ 0.21 पीपीएम होती है। इस वजह से किसान पराली का प्रयोग दुधारू पशुओं के लिए करने से परहेज करने लगे और गेहूं की तूड़ी का इस्तेमाल बढ़ा दिया।
ट्रेनिंग ले सकते हैं पशुपालक
डॉ. मंजू वाधवा ने कहा कि पराली से पशुओं के लिए पौष्टिक खुराक बनाने की ट्रेनिंग पशुपालक उनसे ले सकते हैं। इसके लिए पांच दिन की हैंड जोन ट्रेनिंग दी जाती है। पराली को यूरिया के साथ ट्रीट करके पौष्टिक आहार बनाना मुश्किल नहीं है। सिफारिश के मुताबिक चार क्विंटल पराली के बेंच में ट्रीट किया जाता है। इसके लिए चौदह किलो यूरिया 200 लीटर पानी में घोला जाता है। यूरिया के घोल को चार सौ किलो कुतरी हुई पराली पर छिड़का जाता है। इसके बाद इसे अच्छी तरह मिलाया जाता है और फिर शेड के कोने में नौ दिन के लिए रख दिया जाता है। किसान इसका कूप भी बांध सकते हैं।
ढेर के अंदर का तापमान 50-55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। नौ दिन बाद यूरिया ट्रीटेड पराली इस्तेमाल करने योग्य हो जाती है। इससे पशुओं को कोई नुकसान का डर नहीं रहता है। इसे एक साल तक संभाला जा सकता है। यूरिया ट्रीटेड पराली शुरुआत में थोड़ी थोड़ी मात्रा में पशुओं को देनी चाहिए। जब एक सप्ताह में उन्हें इसकी आदत लग जाए, तब इसकी मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। छह माह से कम के पशु को यह खुराक नहीं देनी चाहिए।