इश्योरेंस का फर्जी कवरनोट ले सड़कों पर कॉमर्शियल वाहन दौड़ा रहे चालक Ludhiana News
फर्जी कवरनोट के जरिए आरटीए कार्यालय में होने वाले दर्जनों कार्य मसलन आरसी ट्रांसफर डुप्लीकेट आरसी जारी करवाना हाईपोथिकेशन कटवाने जैसे कार्य बिना कुछ खर्च किए करवाए जा रहे हैं।
लुधियाना [राजेश शर्मा]। कॉमर्शियल वाहनों की इंश्योरेंस के नाम पर वाहन मालिक धोखे से हजारों की कीमत वाला फर्जी कवरनोट लेकर लोगों की बेशकीमती जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। साथ ही सरकारी खजाने को भी लाखों का चूना लगा रहे हैं। मामले की शिकायत इंश्योरेंस कंपनी जब रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालय को करती है तो उसे हलके में लिया जाता है या तो इस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। इसका सीधा लाभ ट्रांसपोर्टर उठा रहे हैं। दिलचस्प बात है कि एक रुपया भी खर्च किए बिना हजारों रुपये के इंश्योरेंस कवरनोट के जरिए न केवल ट्रैफिक पुलिस की आंखों में धूल झोंकी जा रही है बल्कि इस फर्जी कवरनोट के जरिए आरटीए कार्यालय में होने वाले दर्जनों कार्य मसलन आरसी ट्रांसफर, डुप्लीकेट आरसी जारी करवाना, हाईपोथिकेशन कटवाने जैसे कार्य बिना कुछ खर्च किए करवाए जा रहे हैं।
इस तरह करते हैं गोलमाल
दरअसल कॉमर्शियल कैटेगरी के वाहनों के इंश्योरेंस टेरिफ अधिक है। जैसे कि बस की इंश्योरेंस के लिए लगभग 60 हजार रुपये के वार्षिक प्रीमियम का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी को करना होता है। वाहन मालिक इस रकम का चेक कंपनी को दे देता है। फिर कंपनी का कर्मी बुक लेट से वह कवरनोट उस वाहन के मालिक को दे देता है। जब कंपनी उस चेक को वाहन मालिक के खाते में लगाती है तो वह पास नहीं होता। इसमें या तो हस्ताक्षर सही नहीं होते, या फिर उस व्यक्ति के खाते में पैसे नहीं होते। बैंकिंग भाषा में कहें तो चेक बाउंस हो जाता है। फिर बैंक कंपनी को इसके बारे में सूचित करता है। तब तक इंश्योरेंस का कवरनोट वाहन का मालिक ले चुका होता है।
आरटीए की अपनी गलती भी पड़ रही भारी
बीमा कंपनी बाउंस हुए चेक की जानकारी पत्र के जरिए रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालय को भेजती है। पर वहां इसे बेहद ही हलके में लिया जाता है। वह उस पत्र में दी गई जानकारी को अपने सिस्टम में दर्ज नहीं करते और पत्र फाइलों में धूल फांकते रहते हैं। ऐसे ही कुछ पत्र दैनिक जागरण के संवाददाता के हाथ लगे हैं। इस तरह आरटीए विभाग अपनी ही गलती के कारण भी सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है। ट्रैफिक पुलिस और आरटीए की आंखों में धूल झोंक रहे इंश्योरेंस के कवरनोट के जरिए वाहन मालिक एक तो ट्रैफिक पुलिस और दूसरा आरटीए कार्यालय की आंख में धूल झोंकते हैं। इंश्योरेंस कवरनोट दिखाकर वह ट्रैफिक पुलिस के चालान से बच जाता है। इसके अलावा आरटीए कार्यालय में भी इसका खूब दुरुपयोग करता है। जैसे कि नियम अनुसार अगर उस वाहन की आरसी ट्रांसफर करवानी हो, डुप्लीकेट आरसी जारी करवानी हो या फिर बैंक की किश्तें पूरी होने पर आरसी से हाईपोथिकेशन यानि बैंक का नाम कटवाना हो तो बिना इंश्योरेंस कवरनोट लगाए यह कार्य नहीं हो सकते। इसलिए इन सभी कार्यो के लिए वाहन मालिक इस फर्जी इश्योरेंस कवरनोट का दुरुपयोग करता है। वह पूरा साल इसे इस्तेमाल करता है।
सरकारी खजाने को नुकसान
वाहन मालिक या चालक दोबारा इंश्योरेंस कंपनी को बाउंस हुए चेक की पेमेंट नहीं करता। इस तरह कंपनी और सरकारी राजस्व को नुकसान होता है। वह साल भर ट्रैफिक पुलिस के चालान से भी बचा रहता है। दस्तावेज की जांच करने के दौरान वह पुलिस को वह इंश्योरेंस कवरनोट ही दिखाएगा। वाहन के नीचे आकर मरने वाले के परिवार को नहीं मिलेगा मुआवजा वाहन का मालिक पूरा साल इंश्योरेंस कवरनोट प्रयोग करता है। यदि वाहन के चालक ने थर्ड पार्टी इश्योरेंस करवा उसका इश्योरेंस कवरनोट लिया हुआ है तो कोई हादसा होने पर वाहन मालिक के नुकसान की भरपाई तो नहीं होगी लेकिन अगर हादसे में उस वाहन की वजह से किसी राहगीर की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को भी इंश्योरेंस कंपनी क्लेम नहीं देगी देगी। क्योंकि यह तब वह कवरनोट कंपनी के नियम अनुसार भी मान्य नहीं होता। इस तरह वाहन के मालिक अपने पैसे बचाने के लालच में सरकारी खजाने को चूना लगाने के साथ-साथ कई कीमती जानें भी दांव पर लगा देते हैं।
ऐसे वाहनों का डाटा होगा चेक: आरटीए
मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। तुरंत प्रभाव से देखा जाएगा कि किन-किन वाहनों का कार्य इन फर्जी कवरनोट के जरिए हुआ है। ऐसे वाहनों की सूची बनाकर उन पर कार्रवाई की जाएगी।
-दमनजीत सिंह मान, सेक्रेटरी रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी