Move to Jagran APP

चीन की 'घुसपैठ' से पंजाब के साइकिल उद्यमियों में चिंता, सरकार से मांगी मदद

देश के साइकिल उद्यमी चीन की घुसपैठ के खतरे से चिंतित है। उद्यमियों ने इसे देश के साइकिल उद्योग के लिए घातक बताया है और सरकार से मदद मांगी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 11:19 AM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 08:55 PM (IST)
चीन की 'घुसपैठ' से पंजाब के साइकिल उद्यमियों में चिंता, सरकार से मांगी मदद
चीन की 'घुसपैठ' से पंजाब के साइकिल उद्यमियों में चिंता, सरकार से मांगी मदद

जेएनएन, लुधियाना। देश के साइकिल उद्यमी इस क्षेत्र में चीन की भारत में घुसपैठ से चिंतित हैं। उन्‍होंने इसे देश और साइकिल उद्योग के लिए घातक बताया है। उन्‍होंने मांग की है कि पब्लिक बाइक शेयरिंग (पीबीएस) सिस्टम के तहत भारत में निर्मित साइकिलों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उद्यमियों ने कहा कि विश्व में सबसे अधिक साइकिलों का निर्माण करने वाले चीन का रुख अब भारतीय बाजार पर है।

loksabha election banner

उद्यमियों ने कहा, चीन के पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम में चीन निर्मित साइकिलों का इस्तेमाल घातक

साइ‍किल उदयमियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी कांसेप्ट को भुनाने के लिए चीन ने भारत में घुसपैठ शुरू कर दी है। मैसूर, भोपाल, कोयंबटूर, पुणे से चीन की दो कंपनियों ओफो व मोबाइक ने दस्तक दे दी है जो देश व साइकिल इंडस्ट्री के लिए घातक है। साइकिल इंडस्ट्री के प्रमुख संगठनों और देश के प्रमुख साइकिल निर्माताओं ने सोमवार को ऑल इंडिया साइकिल मेन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के बैनर के तले एवन साइकिल परिसर में बैठक की। इसमें यूनाइटेड साइकिल एंड पाट्र्स मेन्यूफेक्चरर एसोसिएशन (यूसीपीएमए), जी-13 फोरम, फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एवं कॉमर्शियल ऑर्गेनाइजेशन (फीको) के पदाधिकारी शामिल हुए।

उद्यमियों ने कहा कि भारतीय बाजार खासकर लुधियाना में साइकिल की बदौलत ही इकोनॉमी ग्रोथ कर रही है। जिस तरह से चीन की ओर से लगातार घुसपैठ बनाई जा रही है, इससे आने वाले दस सालों में लुधियाना से साइकिल इंडस्ट्री का नाम समाप्त हो जाएगा। उन्‍‍होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मेक इन इंडिया का नारा तो दिया जा रहा है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा। चीन की ओर से पीबीएस के जरिए चीन में डंप पड़े साइकिलों को भारत में भेजा जा रहा है।

यूरोपियन यूनियन ने किया इन्कार

उद्यमियों ने कहा कि  पीबीएस सिस्टम तो लाया जाए, लेकिन इसमें मेक इन इंडिया साइकिल इस्तेमाल की जाए। यूरोपियन यूनियन ने चीन के साइकिल लेने से इन्कार कर दिया है। चीन के बाद भारत दूसरे नंबर का निर्माता है। भारतीय बाजार में ही अगर घुसपैठ कर ली गई तो इंडस्ट्री के लिए चल पाना मुश्किल हो जाएगा।

एग्र्रीमेंट के मुताबिक पुराने साइकिल नहीं लिए जा सकते

उद्यमियों का कहना था कि डब्ल्यूटीओ के एग्रीमेंट के मुताबिक भी पुराने साइकिल नहीं लिए जा सकते। उद्यमियों ने कहा कि सरकार तर्क दे रही है कि स्मार्ट सिटी एक स्वतंत्र संस्था है, वे अपने खर्च चलाने को किसी से भी अनुबंध कर सकते हैं। अगर पीबीएस में चीन के साइकिल आयात होने से नहीं रोके गए तो चार लाख यूनिट्स, दस लाख वर्कर और 11 करोड़ साइकिल यूजर को नुकसान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रेजेंटेशन भी दी जाएगी।

आयात पर 60 फीसद शुल्क लगे

सरकारी निकायों को राष्ट्रीय सुरक्षा निगरानी और शहरी नियोजन के लिए यूजर डाटा साझा करने के लिए जोर देना चाहिए और केवल रेगुलेटेड पीबीएस संचालकों को अनुमति देनी चाहिए। यदि पीबीएस बाइक्स आयात होती है तो उस पर 60 फीसद आयात शुल्क लागू करना चाहिए।

बैठक में ये उद्यमी हुए शामिल

बैठक में एवन साइकिल के सीएमडी ओंकार सिंह पाहवा, नीलम साइकिल के सीएमडी केके सेठ, हीरो साइकिल के एमडी एसके राय, जी-13 के कनवीनर और अर्पण साइकिल के एमडी उमेश कुमार नारंग, हीरो इकोटेक के एमडी गौरव मुंजाल, फीको अध्यक्ष गुरमीत सिंह कुलार, एटलस साइकिल साहिबाबाद के ईड़ी राहुल कपूर, यूसीपीएमए अध्यक्ष इंद्रजीत नवयुग, एसके बाइक्स के राजेश कपूर मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.