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दिल्ली आंदोलन से लौटे बरनाला के नौजवान किसान ने की आत्महत्या, जनवरी में ही हुई थी मंगनी

बरनाला के गांव जैमल सिंह वाला में युवा किसान सतवंत सिंह ने आत्महत्या कर ली। वह पिछले पांच महीने से किसान आंदोलन में शामिल रहा है। वीरवार देर शाम दिल्ली संघर्ष से ही लौटा था। बताया जा रहा है कि वह दिल्ली में किसानों की हालत को लेकर चिंतित था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 02:26 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 02:26 PM (IST)
दिल्ली आंदोलन से लौटे बरनाला के नौजवान किसान ने की आत्महत्या, जनवरी में ही हुई थी मंगनी
मृतक युवा किसान सतवंत सिंह की फाइल फोटो।

बरनाला, [सोनू उप्पल]। गांव जैमल सिंह वाला 25 वर्षीय युवा किसान ने वीरवार देर रात घर में पंखे से फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। शव को सिविल अस्पताल बरनाला के मोर्चरी में रखवाया गया है। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अगले फैसले तक पोस्टमार्टम नहीं करवाया जाएगा। आत्महत्या करने वाले किसान का परिवार भाकियू सिद्धपूर से जुड़ा हुआ है व किसान आंदोलन में आगे रहा है। सतवंत सिंह पिछले पांच महीने से किसान आंदोलन में शामिल रहा है। वीरवार देर शाम दिल्ली आंदोलन से ही लौटा था। सतवंत सिंह दिल्ली आंदोलन में गर्मी के मौसम के दौरान किसानों की सहूलियत के लिए चल रहे कार्यों को देखने के लिए गया था। वापस लौटने के बाद देर रात उसने अपने कमरे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया।

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गांव जैमल सिंह वाला के सरपंच सुखदीप सिंह ने बताया कि मृतक युवा किसान सतवंत सिंह (25) का परिवार 2 कनाल जमीन पर खेती करता था। वहीं युवक लकड़ी का काम करता था। मृतक तीन भाई बहन है। जिसमें बहन शादीशुदा है व भाई सेना में तैनात है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन में सतवंत सिंह शुरुआत से ही शामिल रहा। सुखदीप सिंह ने कहा कि आंदोलन में किसानों की हालत व हर दिन किसी ना किसी किसान की मौत को लेकर सतवंत मानसिक परेशानी में चल रहा था। सतवंत सिंह का कहना था कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई, तो किसानों की जमीन छीन ली जाएगी व किसान खत्म हो जाएगा।  

जनवरी में ही तय हुई थी तय शादी

मृतक के पिता गुरचरण सिंह ने बताया कि उसके दो बेटे हैं। जिसमें एक फौज में नौकरी करता है, तो सतवंत घर में लकड़ी का काम व खेती करके गुजारा चलाता था। सतवंत के काम से ही हम लोग दो वक्त की रोटी खाते थे। लेकिन अब वह भी आंदोलन में छीन गया। उन्होंने बताया कि परिवार द्वारा जनवरी की शुरुआत में ही सतवंत की एक लड़की से शादी तय की थी व मंगनी हो गई थी। किसानों आंदोलन को देखते हुए कुछ समय बाद शादी करनी थी। लेकिन उसकी बारात से पहले उसकी अर्थी निकालनी पड़ेगी। अपने जवान बेटे की मौत को लेकर पिता सदमे में है। वही माता सतवंत की फोटो छाती से लगाकर विलाप कर रही है। सतवंत की माता अमरजीत कौर अपने बेटे की शादी के सपने सजा रही थी। लेकिन माता का सपना टूट चकनाचूर हो गया।

 

किसान यूनियन ने पोस्टमार्टम से पहले रखी ये शर्तें

भाकियू सिद्धपूर के जिला प्रधान जसपाल सिंह, जिला वाइस प्रधान करनैल सिंह गांधी ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन में बरनाला में दो दर्जन से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह मौत बहुत ही दुखदाई है। क्योंकि कुछ समय पहले उसकी मंगनी तय हुई व अब शादी की तैयारी चल रही थी। लेकिन दिल्ली से लौटने के बाद उसने जीवन लीला समाप्त कर ली। उन्होंने कहा कि यूनियन द्वारा परिवार को सरकारी नौकरी, कर्ज माफी व मुआवजा की मांग को पूरा होने के बाद ही पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।


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