Navjot Sidhu को कोर्ट में पेश न करने का मामला, पटियाला जेल अधीक्षक के खिलाफ वारंट जारी
मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ दायर शिकायत के मामले में सीजेएम सुमित मक्कड़ की अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश पारित किया है। पटियाला जेल अधीक्षक को गवाह के रूप में सिद्धू को पेश करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
संस, लुधियाना। पूर्व डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों द्वारा पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ दायर एक शिकायत मामले में सीजेएम सुमित मक्कड़ की अदालत ने पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को कोर्ट में पेश न करने के मामले में पटियाला जेल अधीक्षक के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है।
सिद्धू इस समय पटियाला जेल में बंद है । उनक प्रोडक्शन वारंट भी 4 अक्टूबर के लिए जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। सीजेएम ने 19 सितंबर को सत्र न्यायाधीश की अदालत द्वारा पुनरिक्षण याचिका को खारिज करने के मद्देनजर आदेश पारित किए। अपनी याचिका में सिद्धू ने उन्हें गवाह के तौर पर तलब करने के आदेश को चुनौती दी थी उन्होंने मांग थी है कि या तो उनका नाम गवाहों की सूची से हटा दिया जाए या फिर उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने दिया जाए लेकिन उनकी याचिका को ठुकरा दिया गया था।
गौरतलब है कि इससे पहले सीजेएम की अदालत ने सिद्धू को गवाह के तौर पर तलब किया था। इसके बाद, उन्होंने अपने वकील के माध्यम से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अदालत के समक्ष एक आवेदन दिया था कि उनका नाम गवाहों की सूची से हटा दिया जाए लेकिन सीजेएम ने उनके आवेदन को इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया कि गवाह के रूप में सिद्धू की उपस्थिति बहुत जरूरी है ।
आदेश पारित करते हुए, सीजेएम ने कहा था कि शिकायतकर्ता पूर्व डीएसपी सेखों का मामला है कि उन्हें तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री सिद्धू द्वारा जांच के लिए सौंपा गया था। हालांकि, शिकायतकर्ता को जांच करने से रोकने के लिए, पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु ने उन्हें फोन किया और धमकी दी।
इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से रिकार्ड पर स्थापित है कि शिकायतकर्ता द्वारा गवाह सिद्धू की गवाही स्पष्ट रूप से आवश्यक है ताकि मामले को एक सही परिप्रेक्ष्य से देखा जा सके, विशेष रूप से, जब यह पहले ही रिकार्ड में लाया जा चुका है कि मूल जांच फ़ाइल स्थानीय निकाय मंत्री के कार्यालय में जमा करने के बाद गुम हो गई थी । तथ्य यह है कि क्या शिकायतकर्ता को एक जांच सौंपी गई थी, क्या शिकायतकर्ता द्वारा जांच रिपोर्ट गवाह के कार्यालय को प्रस्तुत की गई थी और क्या खोई हुई फाइल के पुनर्निर्माण के लिए स्थानीय निकाय मंत्री रहते हुए उसके द्वारा कोई आदेश पारित किया गया था, इसका वर्णन केवल गवाह की तरफ़ से ही किया जा सकता है।
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