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स्टील डायरेक्ट डिस्पेच पॉलिसी से एमएसएमई सकते में

ब्लिक सेक्टर स्टील निर्माता कंपनियों के खिलाफ ऑल इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कई परेशानियों की ओर ध्यान केदि्रंत किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 05:30 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 05:30 AM (IST)
स्टील डायरेक्ट डिस्पेच पॉलिसी से एमएसएमई सकते में
स्टील डायरेक्ट डिस्पेच पॉलिसी से एमएसएमई सकते में

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पब्लिक सेक्टर स्टील निर्माता कंपनियों के खिलाफ ऑल इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कई परेशानियों की ओर ध्यान केदि्रंत किया। इसमें लिखा कि एमएसएमई सेक्टर देश की इकोनॉमी की रीड है। यह देश में रोजगार देने में दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है, लेकिन पब्लिक सेक्टर स्टील कंपनियों का एक संगठन इंडस्ट्री को मारने पर तुला है। 1960 से स्माल स्केल इंडस्ट्रीज कारपोरेशन एमएसएमई को मटीरियल सप्लाई कर रहा है। इसमें बड़ी व छोटी कंपनियों को एक दाम पर स्टील उत्पाद मिलते थे। इसके बाद स्टील मंत्रालय की ओर से 2017 में जेपीसी रिबेट को खत्म कर दिया। इसके चलते कई राज्यों की लघु उद्योग कारपोरेशन ने उद्योगों को यह सहायता देनी बंद कर दी। सरकारी स्टील प्लाटों में बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए ज्यादा मात्रा में स्टील खपाने पर दस प्रतिशत तक डिस्काउंट की स्कीम बना दी। इससे एमएसएमई स्टील उत्पादों में बड़ी कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पा रहे। स्टील मंत्रालय और स्टील कंपनियां यहां तक ही सीमित नहीं रही। लघु उद्योगों को बंदी की कगार पर लाने के लिए डायरेक्ट डिस्पेच पॉलिसी शुरू कर दी जिससे राज्यों में बने स्टाक यार्ड में माल भेजना बंद कर दिया। अब किसी स्टील उपभोक्ता को इन कंपनियों से स्टील लेना है, तो वे डायरेक्ट अपनी रेलवे वेगन से ही माल मंगवा सकता है जिसकी न्यूनतम कीमत तीस से चालीस लाख आती है। ऐसे में एमएसएमई स्टील उपभोक्ता इकाइयों को बंद करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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