सैनिक का खोया बैग लौटाने के लिए ऑटो चालक ने छान डाला शहर, मिलिट्री कैंप में जाकर सौंपा
लुधियाना में ऑटो चालक ने सैनिक का खोया बैग वापस लौटाकर ईमारदारी की मिसाल कायम की है। चालक पूरा दिन सैनिक को ढूंढने के लिए चक्कर लगाता रहा।
लुधियाना, जेएनएन। बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जिनमें ईमानदारी जिंदा होती है। उनमें कक्का गांव भोडा कॉलोनी निवासी जसवीर सिंह भी शामिल हैं। बेशक वह ऑटो चलाते हैं, लेकिन जमीन से जुड़े हुए हैं। दरसअल, हुआ यूं कि शनिवार रात नौ बजे रेलवे स्टेशन से दो सैनिक जसवीर के ऑटो में सवार हुए। उन्होंने भारत नगर चौक जाना था। जसवीर वहां से दोनों सवारियों को लेकर चल दिए। चौक पर उन सैनिकों को उतारा, उनसे बनता किराया लिया और फिर आगे चल दिए। इसी दौरान उन सैनिकों में से एक का बैग ऑटो रिक्शा में ही छूट गया। ऑटो चालक जसवीर जब अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके ऑटो में एक सैनिक का बैग छूट गया है। उन्होंने उसे खोला तो सेना की वर्दी समेत कई चीजे थीं।
चालक जसवीर ने ठान लिया कि वह इस बैग को उसके मालिक तक किसी तरह जरूर पहुंचाएंगे। फिर अगले दिन रविवार की सुबह घर से वह बैग उस सैनिक तक पहुंचाने के लिए ऑटो में निकल पड़े। पहले तो वह भारत नगर चौक में गए। उन्हें लगा कि शायद वह सैनिक वहां पर अपने बैग लेने के लिए आएंगे। पर वहां उन्हें वे नहीं मिले। काफी देर तक चालक जसवीर वहां आसपास घूमकर उनको ढूंढते रहे। फिर वह रेलवे स्टेशन की ओर निकल पड़े। वहां भी काफी इंतजार किया, परंतु वहां भी उस बैग का मालिक नहीं मिला।
इसके बाद जसवीर भारत नगर चौक से रेलवे स्टेशन तक और फिर बार-बार चक्कर लगाते रहे। दिनभर पूरा शहर घूमकर वह उन सैनिकों को तलाशते रहे। इस दौरान उन्होंने कोई सवारी भी नहीं बिठाई। बस अपने लक्ष्य के लिए काम में जुटे रहे।
शाम को मिलिट्री कैंप में पहुंचा दिया बैग
ऑटो चालक जसवीर सिंह तब भी नहीं थके। अब बैग उन सैनकिों तक पहुंचाने के लिए ठानी थी। बैग में जरूरी सामान था। फिर रविवार की शाम थाना डिवीजन नंबर 5 में पहुंचे। वहां के पुलिस मुलाजिम की मदद से उन्होंने वह बैग मिलिट्री कैंप के अधिकारियों को सौंप दिया। जसवीर के परिवार में पत्नी, एक बेटा और बेटी है। वह काफी सालों से ही ऑटो चला रहे हैं।
बैग में ये था सामान, दिलप्रीत सिंह के नाम का बैज
जसवीर के मुताबिक, जब उन्होंने बैग खोला तो उसमें सेना की वर्दी, बेल्ट, जूते, ब्रांडेड कपड़े, नेम प्लेट, दो मोबाइल सिम, पारिवारिक फोटो और जरूरी दस्तावेज पड़े थे। नेम प्लेट के अनुसार उस पर सैनिक का नाम दिलप्रीत सिंह लिखा हुआ है। अब उन्होंने यह बैग सेना अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया है तो यह उस सैनिक तक अवश्य पहुंच जाएगा।
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