आज का बीज भविष्य का वृक्ष है: आशीष मुनि
दुनिया में अनेक विधिवता नजर आती है। कोई सुखी है तो कोई दुखी।
संस, लुधियाना : दुनिया में अनेक विविधता नजर आती है। कोई सुखी है तो कोई दुखी। कोई महलों में आनंद से रह रहे हैं तो किसी को सिर ढकने को छत नसीब नहीं है। कोई माल गुलछर्रे उड़ा रहा है तो किसी को भरपेट रोटी मिलती नहीं। यह सब क्या है क्यों है? ज्ञान जन फरमाते हैं कि यह अपने-अपने पुण्य या पाप के मीठे या कटु फल का ही परिणाम है।
पुण्य सदकर्म, दान पुण्य आदि अच्छे कर्म से बढ़ता है। यह प्रवचन श्रमण संघीय सलाहकार तपस्वीरत्न सुमति प्रकाश के सुशिष्य श्रमण संघीय मंत्री आशीष मुनि ने अग्र नगर जैन स्थानक की सभा में व्यक्त किए। इससे पूर्व श्रमण प्रवर मंत्री आशीष मुनि, तत्व चितक उत्तम ठाणा-2 सिमट्री रोड से विहार कर अग्र नगर जैन स्थानक पहुंचे। वहां सभा ने उनका भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर महासाध्वी गीता म. ठाणा-4 भी शामिल हुए।
प्रवचन सभा में गुरुदेव ने कहा कि जैसे आज का बीज आने वाले भविष्य का वृक्ष है। उसी प्रकार आज का सदकर्म आने वाले भविष्य का पुण्य बनकर हमारे समक्ष फल देता है। जिन शासन ज्योति महासत्ती श्री गीता म. की सुशिष्या ओजस्वी वक्ता साध्वी श्री वृद्धि म. ने धर्म सभा में कहा कि क्रोध चंडाल है। अपने मन में छिपा हुआ आत्मा का बहुत बड़ा दुश्मन है। क्रोधी सर्वप्रथम स्वयं जलता है। फिर दूसरे को जलाने वाला बनता है। क्रोधी, क्रोध के समय अंधा बन जाता है। क्रोधी यह समझ नहीं पाता कि मेरे आगे कौन खड़ा है। किसके साथ क्या बोलना है और क्या नहीं। यह विवेक उसके जीवन में नहीं रहता है। साध्वी वृद्धि म. ने कहा कि क्रोध के समय, क्रोधी का खून जहरनुमा बन जाता है। अत: क्रोध नहीं करने का उपवास की प्रेरणा देते हुए साध्वी ने कहा कम से कम साक्षात में एक दिन क्रोध नहीं करने का संकल्प ले।