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यहां पर कारीगरों की जरूरत है..

कोरोना वायरस के कारण सूबे से लाखों की संख्या में वर्कर गांवों को लौट गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 02:12 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 02:12 AM (IST)
यहां पर कारीगरों की जरूरत है..
यहां पर कारीगरों की जरूरत है..

डीएल डॉन, लुधियाना

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कोरोना वायरस के कारण सूबे से लाखों की संख्या में वर्कर गांवों को लौट गए हैं। औद्योगिक इकाइयां खुल गई, लेकिन उद्यमी वर्करों के संकट से जूझ रहे हैं। हालत यह है कि लगभग हर इकाई के बाहर वर्कर व कारीगर चाहिए के बोर्ड लटक रहे हैं। वर्करों की कमी से वस्त्रों का उत्पादन ठंडा पड़ गया है। होजरी इकाइयों में बच्चों का सूट, लेडीज सूट, टी-शर्ट, शर्ट, पेंट के लिए कारीगर नहीं मिल रहे। किल्लत के बीच जो वर्कर मौजूद हैं, वे भी शर्तो पर काम कर रहे हैं। दिनभर काम करके शाम को पैसा लेते हैं। इसके अलावा उनको साथी कारीगरों व वर्करों को बुलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वहीं, उद्यमियों ने भी प्रबंधकों व सुपरवाइजरों को कारीगरों की खोज में लगा रखा है। सुपरवाइजर कारीगरों से उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में भी संपर्क साध रहे हैं। कारीगर सुपरवाइजर से डिमांड रख रहे हैं कि वे अपनी शर्तो पर ही काम करेंगे। दूसरी ओर, कई इकाइयों में वर्करों को एडवांस देकर आकर्षित किया जा रहा है ताकि वह काम करते रहें।

महानगर में वर्करों की भारी किल्लत

गर्म वस्त्रों के साथ अन्य आइट्म के लिए लुधियाना विश्व विख्यात है। देश के कोने-कोने में यहां के वस्त्रों की मांग है, लेकिन वर्करों की कमी से आर्डर पूरे नहीं हो रहे। होजरी में इंटरलॉक कारीगर, कटर मास्टर, दर्जी, ओवरलॉक, फोल्डिग, प्रेसमैन, फिनिशिग, चेकिग-पैकिग, क्वालिटी कंट्रोलर, हेल्पर, सफाई कर्मी तक की जरूरत है। तकरीबन इकाइयों में कारीगरों की जरूरत के कई जगहों पर बोर्ड लगा हैं।

लेबर जाने से प्रोडक्शन ठंडा : जुनेजा

बाजवा नगर स्थित कुलभूषण होजरी के एमडी कुलभूषण जुनेजा का कहना है कि लेबर जाने से सारा सिस्टम ही गड़बड़ा गया। माल बनाने के लिए सामान उपलब्ध होने के बावजूद काम नहीं हो पा रहा। वर्कर कम है, जिससे प्रोडक्शन के लिए कोई हिसाब ही नहीं बन रहा। ऐसे में यह सीजन ठंडा ही नजर आ रहा है। लेबर आने के बाद ही प्रोडक्शन संभव हो पाएगा।

ऊनी वस्त्रों के उत्पादन में कमी : मदान

अमित निटवेयर्स के एमडी अमित मदान का कहना है कि कुछ वर्कर परिवार के साथ यहां रहते हैं, उनके आने से थोड़ा बहुत काम चल रहा है, जबकि ज्यादा कारीगर गांव जाने से प्रोडक्शन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। उनका ऊनी वस्त्रों का काम है। स्वेटर, कोटी, पुलोवर, गर्म फ्राक आदि को बनाने वाले काफी कारीगर नहीं होने से परेशानी आ रही है। नए कारीगरों से काम नहीं हो पा रहा। पुराने कारीगरों से संपर्क हो रहा है, लेकिन उनका कहना है कि ट्रेन और बस की सुविधा नहीं होने से आना मुश्किल है।

जल्द हो जाएगा सुधार : डाबर

लेबर की कमी के बारे में निटवियर क्लब के प्रधान दर्शन डाबर ने कहा कि कोविड-9 का बहुत प्रभाव पड़ा है। कोरोना वायरस खत्म होते ही लेबर काम पर आ जाएगी। हमें लगता है कि जल्द सुधार हो जाएगा।


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