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वाटर रिचार्जिंग को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियाे वायरल, किसानाें के प्रयाेग से भूजल हाे रहा दूषित Ludhiana News

पंजाब में भूजल स्तर साल-दर-साल तेजी से गिर रहा है। इससे सरकारें तो चिंतिंत हैं ही किसान भी अब परेशान हैं।

By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 12:58 PM (IST)
वाटर रिचार्जिंग को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियाे वायरल, किसानाें के प्रयाेग से भूजल हाे रहा दूषित Ludhiana News
वाटर रिचार्जिंग को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियाे वायरल, किसानाें के प्रयाेग से भूजल हाे रहा दूषित Ludhiana News

जगराओं, [बिंदु उप्पल]। पंजाब में भूजल स्तर साल-दर-साल तेजी से गिर रहा है। इससे सरकारें तो चिंतिंत हैं ही, किसान भी अब परेशान हैं। वाटर रिचार्जिंग को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई तो किसान भी इससे प्रेरित हो खेतों के अतिरिक्त पानी से धरती को रिचार्ज करने लगे। लेकिन किसानों के वाटर रिचार्जिंग का यह तरीका वैज्ञानिकों की दृष्टि से सही नहीं है। दरअसल, किसान पानी को सीधे बोर में डाल रहे हैं, जिससे खेतों में प्रयोग किस जा रहे विषैले रसायन भी धरती के गर्भ में समा कर भूजल को दूषित कर रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक वाटर रिचार्जिंग का यह तरीका लाभप्रद होने की बजाय नुकसानदेह साबित हो रहा है। वीडियो में पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा खेतों में बारिश के पानी को सीधे तौर पर बोरवेल में डाला जा रहा है। इन वीडियो को देख अन्य किसान भी यह तरीका अपनाने में लगे हैं।

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प्रयास सही है पर तरीका गलत

एक विशेष साक्षात्कार में पीएयू के सॉयल और इंजीनियरिंग विभाग प्रमुख डॉ. केजी सिंह ने बताया कि मौजूदा हालातों में पानी की संभाल एक अच्छा प्रयास है, लेकिन क्या हम इससे धरती के नीचे के पानी को दूषित तो नहीं कर रहे। डॉ. केजी सिंह ने बताया कि धान के खेतों में काफी मात्रा में कीटनाशक, नदीननाशक, खादों का प्रयोग होता है। और इस करके खेतों में खड़े पानी में काफी मात्रा में जहरीले कण होते हैं। अगर हम इस पानी को सीधे तरीके से धरती के नीचे साफ पानी से मिला देंगे तो हम अपने रोजाना प्रयोग वाले साफ पानी को गंदा कर रहे हैं और जो धरती के नीचे के पानी की शुद्धता को भी प्रभावित कर रहे हैं। किसानों का प्रयास तो ही पर तरीका गलत है।

गंदा पानी कई बीमारियों का कारक

संधू कैंसर अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दविंदर सिंह संधू ने बताया कि मालवा चेन भू-जलस्तर दूषित होने से कैंसर से पीड़ित है। ऐसे में अगर किसान अब धरती के नीचे वाले पानी में धान के खेतों का रासायनिक खादों वाला पानी मिलाते रहे तो यह न तो इंसानों के पीने लायक रहेगा और ना ही जानवरों के लायक। ला ईलाज बीमारिया कैंसर, चमड़ी, दिमागी बीमारियों को जन्म देगा। धरती के पानी को रिचार्ज करना जरूरी पर शुद्ध जल से : डॉ. राजन पीएयू के सॉयल एंड इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर रिसर्च इंजीनियर डॉ.राजन अग्रवाल ने बताया कि धरती नीचे दूषित पानी को साफ करने के लिए काफी कोशिशों के बावजूद इसको पुन: पीने योग्य बनाना मुश्किल होगा। धरती के निचले पानी को रिचार्ज करना बेहद जरूरी है। 

पीएयू के वैज्ञानिक सोशल मीडिया पर करेंगे प्रचार

पीएयू के युवा वैज्ञानिक डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि पीएयू के भूमि व पानी इंजी. विभाग ने जमीन के नीचे के पानी को रिचार्ज करने की तकनीक विकसित की है। जैसे छतों पर बारिश के पानी की संभाल, न प्रयोग में आने वाले कुंओं द्वारा पानी संभाल, अधिक नहरी पानी के साथ बरसाती पानी का प्रयोग, धान के खेतों में वटों का प्रयोग, गावों के छप्परों की मरम्मत कर प्रयोग के तरीके हैं।

युवा वैज्ञानिक डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि अब सोशल मीडिया पर किसानों के गलत तरीके से पानी को धरती में मिलाने को रोकने के लिए पीएयू वैज्ञानिकों ने दो वीडियो बनाई है जिसमे बरसाती पानी व धान के खेतों के पानी को सीधे बोरवेल में डालने की बजाए और कौन से तरीके बनाकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

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