देहभाव से आत्मभाव की यात्रा ही वेदांत : गुरु मां
देहभाव से आत्मभाव की यात्रा ही वेदांत है। लेकिन विड़बना है कि मानव अपने शरीर के प्रथम रुप स्थूल में ही अटका रहता है। जीवन में परेशानी की वजह भी मुख्य रुप से यही है। जो लोग शरीर के दूसरे रुप सूक्षम तक पहुंच जाते है उनमें समभाव जगना आरंभ हो जाता है लेकिन मंजिल तो आत्मभाव ही है। इन दिव्य वचनों के साथ गुरु मां आनंदमूर्ति ने गर्वंमेंट कालेज फॉर गर्ल्स में चल रहे आयोजन के दौरान ज्ञान पिपासुओं पर अमृतवर्षा की।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : देहभाव से आत्मभाव की यात्रा ही वेदांत है। लेकिन विडंबना है कि मानव अपने शरीर के प्रथम रूप स्थूल में ही अटका रहता है। जीवन में परेशानी की वजह भी मुख्य रूप से यही है। जो लोग शरीर के दूसरे रूप सूक्ष्म तक पहुंच जाते हैें उनमें समभाव जगना आरंभ हो जाता है लेकिन मंजिल तो आत्मभाव ही है। इन दिव्य वचनों के साथ गुरु मां आनंदमूर्ति ने गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स में चल रहे आयोजन के दौरान ज्ञान पिपासुओं पर अमृतवर्षा की। योग के महत्व से अवगत करवाते हुए गुरु मां ने कहा कि शरीर के जिस अंग में प्राण शक्ति का प्रवाह न हो वही अंग काम करना बंद कर देता है। इसे सिर्फ योग ही समझ पाया है।
इसलिए योग के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। लेकिन निर्विचार होने के लिए ओम मंत्र का उच्चारण करें। गुरु मां ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली से शरीर कमजोर होता जा रहा है। शरीर की ताकत बढ़ाने का अचूक नुस्खा है प्राणायाम। शाकाहारी भोजन पर जोर देते हुए गुरु मां ने कहा कि यह भ्रम फैलाया गया है कि शाकाहारी लोग शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। लेकिन आज विश्व के नामी गिरामी पहलवान जिसमें भारत के पहलवान सुशील भी शामिल है शाकाहारी ही है। सादी शादी व शाकाहारी बनने के लिए आनंदमूर्ति गुरु मां ने उपस्थित जिज्ञासुओं को प्रेरित किया। इस दौरान सांसद रवनीत ¨सह बिंट्टू व पार्षद ममता आशू भी गुरु मां का आशीर्वाद लेने पहुंचे।