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सत्ता दूसरों को सता कर व सत्य स्वयं को तपा कर मिलता है: अचल मुनि

एसएस जैन सभा शिवपुरी में चातुर्मास सभा जारी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:30 AM (IST)
सत्ता दूसरों को सता कर व सत्य स्वयं को तपा कर मिलता है: अचल मुनि
सत्ता दूसरों को सता कर व सत्य स्वयं को तपा कर मिलता है: अचल मुनि

संस, लुधियाना: एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वावधान में जारी चातुर्मास सभा में सोमवार को ओजस्वी वक्ता अचल मुनि म. ने कहा कि 10 प्रकार के धर्म की व्याख्या चल रही है। आज पांचवां धर्म आ रहा है कि सही बोल-सही तोल तो जीवन बन जाएगा अनमोल। हमारी जिदगी में क्या होना चाहिए? जीवन में सत्य जरुर हो। परंतु सत्य कड़वा न हो, उत्तम हो।

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सरलता व सत्य दोनों भाई है। दोनो इकट्ठे रहते है। सत्य आत्मा की उच्चतम ऊंचाई है। अगर सत्य का पालन हो गया तो सभी धर्मों का पालन हो गया। जहां सत्य है, वहीं धर्म है और जहां पर झूठ आ गया तो समझ लेना वो धर्म भी पाखंड बन जाएगा। आज लोग शराब, मांसाहार, वेश्या गमन को पाप मानते है, पर झूठ को पाप नहीं मानते, क्यों? क्योंकि झूठ बोलना आज के मानव के रोम-रोम में बस गया है। आज मानव का भरोसा नहीं कि कब झूठ बोले दे। सत्य के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी देनी पड़ती है। सत्य बोलना व सुनना कठिन भी है और आसान भी।

झूठे को सब कुछ याद रखना पडे़गा व अपने दिमाग को झूठ बोलने के लिए घुमाना भी पडे़गा, पर सत्य बोलना सहज व सरल है। अगर सूर्य में प्रकाश निकल जाए और धर्म में से सत्य निकल जाए तो वो धर्म किसी काम का नहीं रहेगा। सत्य अमृत के समान है। सत्य से वचन सिद्धि भी प्राप्त हो जाती है, पर आज इंसान स्वार्थ के वशीभूत होकर झूठ पर झूठ बोलता चला जा रहा है। उन्होंने कहा कि सत्य और इंसान का रास्ता स्वर्ग में जाकर खत्म होता है। दुर्भाग्य है कि आज सत्यवादियों और ईमानदारों के दिन लद गए है। वे तर्क देते है कि देखो। टेढे़ मेढे़ वृक्षों को जहां कोई नहीं छेड़ता और सीधे वृक्ष हमेशा ही काटे जाते है। मेरा कहना है कि सत्य के दिन कभी नहीं लदते। अतिशय मुनि ने कहा कि पाप से डरो, पापी से न डरो। पाप से आत्मा को बचाने के कुछ रास्ते है। संसार की विचित्र घटनाएं देखकर पाप से बचा जा सकता है। जिसे प्रारंभ से ही ऐसे संस्कार दिए जाते है कि पाप विष का पातक है। तो वो पाप से बच जाता है। पहली बार ही भूल पर ग्लानि हो गई या ठोकर लग गई।


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