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चुनाव आचार संहिता हटते ही थानों में अलग-अलग होंगे क्राइम ट्रीट और लॉ एंड ऑर्डर स्टाफ

पुलिस को दो विभागों क्राइम ट्रीट और लॉ एंड ऑर्डर के आधार पर बांटा जाएगा।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 10:39 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 01:49 PM (IST)
चुनाव आचार संहिता हटते ही थानों में अलग-अलग होंगे क्राइम ट्रीट और लॉ एंड ऑर्डर स्टाफ
चुनाव आचार संहिता हटते ही थानों में अलग-अलग होंगे क्राइम ट्रीट और लॉ एंड ऑर्डर स्टाफ

 लुधियाना, [दिलबाग दानिश]। पुलिस को दो विभागों क्राइम ट्रीट और लॉ एंड ऑर्डर के आधार पर बांटा जाएगा। चुनाव आचार संहिता हटते ही चंडीगढ़ मुख्यालय से इस संबंधी बनाई गई योजना अमल में लाई जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त एडीसीपी और एसीपी को कमिश्नरेट के अधीन तैनात कर दिया गया है, जबकि इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की नफरी को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों ज्यादा आए एसीपी इसी क्रम का ही हिस्सा थे। इस व्यवस्था से पुलिस और आम लोगों को पूरी तरह से फायदा होने वाला है। पहले चल रहे सिस्टम के तहत पुलिस अधिकारी और कर्मचारी लॉ एंड आर्डर और मामलों को सुलझाने के लिए समय नहीं दे पाते हैं, जिस कारण पुलिस के दोनों ही अहम कार्यों पर असर पड़ रहा है, जिसे देखते हुए दोनों ही कार्यों को करने के लिए अलग-अलग सेल कायम होंगे।
 

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अभी है यह व्यवस्था
अभी थानों को बीट के हिसाब से बांटा गया है। हर बीट का प्रभारी एएसआइ या फिर सीनियर हेड कांस्टेबल है। दो या तीन बीट पर सब इंस्पेक्टर लगे हुए हैं। यह बीट थाना प्रभारी इंस्पेक्टर के अधीन चलती हैं। तीन या चार थानों पर एक एसीपी, दो एसीपी पर एक एडीसीपी और एडीसीपी डीसीपी के अधीन आते हैं। बीट से लेकर थाना क्षेत्रों में यही अफसर काम करते हैं। इसके अलावा सीआइए, आर्थिक अपराध शाखा, एंटी नार्कोटिक्स सेल और महिला ङ्क्षवग जैसे विभाग भी पुलिस के एसोसिएट हैं।
 

अब यह होगी व्यवस्था
अब थानों के स्टाफ को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा। कहीं पर भी धरना लगने, क्राइम होने और पेट्रोङ्क्षलग के लिए लॉ एंड आर्डर स्टाफ बनेगा। इसके अलावा दर्ज हुए मामलों की जांच, आरोपितों को पकड़कर अदालत में पेश करने, चालान बनाकर पेश करने जैसे काम करने के लिए अलग से स्टाफ की तैनाती की जाएगी। दोनों स्टाफ एसएचओ के अधीन ही रहेंगे। एसएचओ के ऊपर लॉ एंड आर्डर और क्राइम ट्रीट के लिए अलग-अलग से एसीपी लगाए जाने की योजना है।
 

तीन माह पहले गृह मंत्री ने लिया था फैसला
तीन माह पहले ही प्रदेश का गृह विभाग देख रहे मुख्यमंत्री ने इस पर फैसला लिया था कि इस तरह की कार्यप्रणाली होनी चाहिए। इसे लागू करने के लिए डीजीपी कार्यालय में योजना भी शुरू हो गई थी। आचार संहिता लगने के कारण इसे लागू करने का काम बंद हो गया था, लेकिन कमिश्नरेट में सेंक्शन एसीपी से ज्यादा एसीपी लगाए गए हैं। यहां पर सेंक्शन एडीसीपी और एसीपी से ज्यादा तैनाती की गई है और इसे सेंक्शन भी कर दिया गया है।
 

डीजीपी कार्यालय से ही होना है पूरा काम : डीसीपी
डीसीपी अश्वनी कपूर के मुताबिक यह पूरी कार्यप्रणाली कैसे काम करेगी इस पर डीजीपी कार्यालय की ओर से काम किया जाना है। अभी हमें इस संबंधी दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। स्टाफ जरूर बढ़ा दिया गया है। जो शहर और पुलिस के लिए शुभ संकेत हैं। हमें ज्यादा एसीपी मिले हैं और दूसरा स्टाफ भी मिलने की उम्मीद है। लां एंड आर्डर और क्राइम ट्रीट स्टाफ अलग- अलग करने का काम भी डीजीपी कार्यालय के आदेश पर ही होगा।

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