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परमिंदर ढींडसा के कुर्सी छोड़ते ही शरणजीत ढिल्लों की कोठी फिर हुई गुलजार Ludhiana News

ढींडसा की कुर्सी ढिल्लों साहब को मिल गई और कोठी फिर से गुलजार हो गई। कोठी में अब ऐसे नेताओं की चहल-पहल भी देखने को मिल रही है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 05:17 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 05:17 PM (IST)
परमिंदर ढींडसा के कुर्सी छोड़ते ही शरणजीत ढिल्लों की कोठी फिर हुई गुलजार Ludhiana News
परमिंदर ढींडसा के कुर्सी छोड़ते ही शरणजीत ढिल्लों की कोठी फिर हुई गुलजार Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। राजनीति ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में सब उगते हुए सूर्य को ही नमस्कार करते हैं। चमक जरा सी भी फीकी होने पर लोग उसके पास जाने से कतराते हैं। जिले के वरिष्ठ अकाली नेता शरणजीत सिंह ढिल्लोंं जब कैबिनेट मंत्री थे तो उनके घर-कार्यालय में मेला सा लगा रहता था। समय बदला, सरकार बदली तो मेला सन्नाटे में बदल गया। लोगों की आवाजाही भी कम हो गई। लेकिन भला हो परमिंदर सिंह ढींडसा का। नेता विपक्ष की कुर्सी छोड़ते ही कोठी का भाग्य फिर जाग गया। ढींडसा की कुर्सी ढिल्लों साहब को मिल गई और कोठी फिर से गुलजार हो गई। कोठी में अब ऐसे नेताओं की चहल-पहल भी देखने को मिल रही है जो 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदार हैं। 

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प्रधान का ही नाम गायब 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान शहर में थे। नागरिकता संशोधन कानून पर एक सेमिनार का आयोजन पंजाब ट्रेड सेंटर में जिला इकाई द्वारा आयोजित किया गया था। ज्यों ही शिवराज चौहान मंच से बोलने के लिए खड़े हुए तो उनके सामने नेताओं के नामों की एक लिस्ट रखी गई। जिसमें प्रदेश से लेकर जिला इकाई तक के पदाधिकारियों के नाम लिखे हुए थे। वह सभी के नाम पढ़ते गए। अंतिम नाम बोला तो अचानक उन्हें याद आया कि लिस्ट में जिला प्रधान जतिंदर मित्तल का तो नाम ही नहीं है। वह मंच की और मुड़े और बोले कि आप लोगों ने जिला प्रधान का नाम तो लिखा ही नहीं। मंच पर जिला प्रधान सोफे के हैंडल पर बैठे हुए थे। एकाएक सभी लोग उनकी तरफ देखकर हंसने लगे।

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सब हवा में 

वर्ष 2019 की विदाई हुई तो लोग उन प्रोजेक्ट पर चर्चा करने लगे जो घोषित तो हुए पर जमीन पर नहीं उतर पाए। ऐसे ही दो अहम प्रोजेक्ट थे एक कॉलेज व दूसरा सतलुज व लोधी क्लब की तर्ज पर बनने वाला एक और क्लब। करोड़ों की लागत से तैयार होने वाले इन प्रोजेक्ट का प्रचार जोर-शोर से हुआ। शिलान्यास करते हुए विधायक संजय तलवाड़ द्वारा दावा किया गया कि बस अब कंस्ट्रक्शन शुरू व अगले साल से प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण भी हो जाएगा। एक वर्ष तो क्या अर्सा बीत गया, जिस जगह शिलान्यास हुआ था, आज भी वह जगह वीरान पड़ी हुई है। लोग चर्चा कर रहे थे कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक के दावे हवा हवाई ही निकले। ना कॉलेज बना ना क्लब। एक व्यक्ति ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री का युवाओं को स्मार्ट फोन देना का वादा अभी तक सिरे नहीं चढ़ा है तो फिर विधायक के दावे कहां ठहरते है।

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मिशन-2020 

एक समय था जब ट्रैफिक एक्सपर्ट कमलजीत सोई बेहद सक्रिय थे। ट्रैफिक के लिए उनकी सलाह भी बेहद कारगार होती थी। लेकिन पिछले दो साल वह अज्ञातवास में रहने के बाद तीन दिन पहले अब दोबारा अचानक सक्रिय हो गए। अब जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस, पत्रकारों व अन्य लोगो को कैसे पता चले कि वह फिर से सक्रिय हो गए हैं। इसके लिए उन्होंने नायाब तरीका निकाला। बाकायदा प्रेस कांफ्रेस बुलाई और दावा किया कि वह एक खास मिशन लेकर आए हैं। और इसका नाम भी मिशन-2020 है। इस दौरान दावा किया कि जिले के उन प्वाइंटस की खामियों पर फोक्स किया जाएगा कि जो दुर्घटनाओं की वजह बनती है। अब देखना है कि जो मिशन लेकर वह आए है उसमें कितने कामयाब होते है व पहले की तरह ट्रैफिक पुलिस व जिला प्रशासन उनको अहमियत देता है कि नहीं।

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