बदनामी के बाद Grand Manor Homes फिर होगा गुलजार? शहर में लगे Advertisement के बोर्ड
प्रोजेक्ट ग्रैंड मैनर होम्स में अनियमितताओं को लेकर होहल्ला मचा तो मामला विधानसभा तक जा पहुंचा। तब ऐसा लगा था कि प्रोजेक्ट सदा के लिए ही बंद हो गया।
लुधियाना, [राजेश शर्मा]। एक शायर की पंक्तियां 'बदनाम न होंगे तो क्या नाम ना होगा' शहर में अनियमितताओं-घोटालों में नाम आने बाद सरकार से क्लीनचिट लेकर धड़ल्ले से प्रचार करने वालों पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। ऐसा ही हाल निर्माणाधीन प्रोजेक्ट ग्रैंड मैनर होम्स का है। अनियमितताओं को लेकर होहल्ला मचा तो अखबारों की सुर्खियों से होता हुआ मामला विधानसभा तक जा पहुंचा। कार्रवाई भी हुई और प्रोजेक्ट सील कर दिया। तब ऐसा लगा था कि प्रोजेक्ट सदा के लिए ही बंद हो गया। चूंकि हमारे नियम-कानून तो मोम की नाक की तरह हैं, जिस तरफ चाहो मोड़ दो। हुआ भी ऐसा ही अचानक बाजी पलटी, कुछ शर्तों के साथ प्रोजेक्ट को क्लीनचिट मिल गई। इन दिनों शहर के हर कोने पर प्रोजेक्ट की एडवरटाइजमेंट के बोर्ड देख लोग भ्रम में हैं कि सच्चाई मचे शोरशराबे में थी या फिर इन लगे बोर्डों में ।
फोन पर खोखली धमकियां
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला का शो होना था। आयोजक को गुरिंदर सिंह नामक व्यक्ति ने फोन कर धमकाया कि उनका संगठन किसी भी कीमत पर शो नहीं होने देगा। भलाई इसी में है शो रद कर दो। डरे-सहमे आयोजक ने यह बात अपने मित्र को बताई। मित्र ने कहा अभी मेरी उससे बात करवाओ। धमकाने वाले को फोन मिलाया तो फिर वही बात सुनने को मिली कि शो नहीं होने देंगे। धमकी देने वाले यह भी कह दिया कि अगर शो कराने का फैसला नहीं टाला तो आयोजन स्थल पर दस हजार व्यक्ति प्रदर्शन करेंगे। आयोजक का मित्र भी घाघ था। जवाब देते हुए बोला कि मैं आपकी हैसियत जानता हूं। दस हजार तो छोड़िए, दस बंदे भी इकट्ठे नहीं होंगे। उसने यह रिकार्डिंग फेसबुक पर भी डाल दी। बात सही भी निकली। शो हुआ, विरोध करने दस हजार तो क्या दस बंदे भी नहीं पहुंचे।
सेवा केंद्रों में मंडराने लगे दलाल
ड्राइविंग लाइसेंस की लंबी वेटिंग के चलते सरकार ने ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक के साथ-साथ सेवा केंद्रों में भी डीएल आवेदन शुरु करवा दिए हैं। अक्सर ऐसा होता है कि सरकारी कार्यालयों में अतिरिक्त काम आने से कर्मचारी परेशान हो जाते हैं, लेकिन सेवा केंद्र कर्मचारी परेशान होने की बजाए खुश नजर आ रहे हैं। वहीं ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक पर दिखने वाले कुछ दलाल भी सेवा केंद्र के आस-पास मंडराने शुरू हो गए हैं। सेवा केंद्रों में अतिरिक्त कार्य के बावजूद कर्मचारियों की खुशी ने लोगों को सोचने पर विवश कर दिया है। एक ग्रुप में ऐसी ही चर्चा चल रही थी तो मंझे हुए एक व्यक्ति ने बोल दिया, सेवा केंद्र के कर्मचारियों की खुशी की वजह यहां पर मंडराने वाले दलाल हैं। इनके माध्यम से आने वाली अंडर टेबल इनकम के आसार जो बन गए हैं। कुछ भी कहो तर्क में दम है।
खुली दुकानें 'खुलवाने' पहुंचे शिवसैनिक
केंद्र सरकार पर हिंदु राष्ट्र एजेंडे का आरोप लगाते हुए शिरोमणि अकाली दल अमृतसर ने 25 जनवरी को पंजाब बंद का आह्वान किया। अखबारों में बंद संबंधी नेताओं की बयानबाजी भी उछलती रही, लेकिन बंद की कॉल पूरी तरह से बेअसर नजर आई। ना तो कोई बाजार बंद हुआ ना ही पार्टी का कोई पदाधिकारी या वर्कर दुकानें बंद करवाने पहुंचा। जाहिर सी बात है कि दुकानें खुली रहीं। इसके विपरीत बंद के विरोध का एलान कर चुकी शिवसेना पंजाब के पदाधिकारी व वर्कर खूब सक्रिय दिखे। सैकड़ों वर्करों ने बाकायदा मार्च निकालकर नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में नारेबाजी भी की। विभिन्न बाजारों से होते हुए शिवसेना पदाधिकारियों ने दुकानदारों को आश्वस्त किया कि किसी के दबाव में आ कर दुकानें बंद करने की जरूरत नहीं। कुछ दुकानदारों ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह पहली हड़ताल है जिसमें बंद करवाने वाले दिखे नहीं खुलवाने वाले पहुंच गए।
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