रंग लाई मिट्टी की जांच, खेतों में आई नई जान, घटा Chemical fertilizers का इस्तेमाल, पैदावार बढ़ी
मृदा परीक्षण को लेकर अभियान चलाया गया। इसके सकारात्मक परिणाम पंजाब में देखने को मिलेेे। इससे राज्य में पैदावार बढ़ी है।
लुधियाना [आशा मेहता]। एक दशक पहले तक देश में हो रहे रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) के बेतहाशा प्रयोग में पंजाब के किसान भी आगे रहे। इन उर्वरर्कों के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से भले ही सूबे में फसलों की पैदावार बढ़ी, लेकिन मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक तत्वों पर काफी बुरा असर पड़ा। ऐसे में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मृदा परीक्षण को लेकर अभियान चलाया गया। इसके सकारात्मक परिणाम पंजाब में भी देखने को मिलेेे। अब न केवल रासायिनक उर्वरकों का प्रयोग कम हुआ है, बल्कि जमीन की उपजाऊ क्षमता बढऩे से फसलों की पैदावार भी बढ़ी है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) भी वर्षों से किसानों को अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवाने के लिए लगातार प्रेरित करता रहा है। PAU के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर पंजाब के अधिकारियों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में सूबे में रासायनिक उर्वरकों की खपत में कमी आई है। प्रति हेक्टेयर की बात करें तो नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की औसत खपत 247 किलोग्राम थी जो अब कम होकर 228 किलोग्राम रह गई है।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग काफी कम हो गया। वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि भारत में जितनी भी नाइट्रोजन खाद बनाई जाएगी, वह नीम युक्त ही होगी। तब से अब तक पंजाब में नाइट्रोजन की खपत 1447 हजार टन से कम होकर 1434 हजार टन रह गई है। यानी इसकी खपत में 13 हजार टन की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह फास्फोरस और पोटाश के प्रयोग में भी कमी दर्ज की गई है। पीेएयू से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में इस समय मृदा परीक्षण के लिए कुल 66 प्रयोगशालाएं हैं।
मृदा परीक्षण से सामने आए बेहतर परिणाम: डॉ. चौधरी
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के भूमि विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. ओपी चौधरी के अनुसार मृदा परीक्षण के परिणाम बेहतर हैं। किसान अब जागरूक हो गए हैं। ज्यादातर किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवाने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी आई है।
एक साल में 23.40 लाख सैंपलों की हुई जांच
खेतीबाड़ी एवं किसान भलाई विभाग पंजाब के डायरेक्टर डॉ. स्वतंत्र कुमार ऐरी का कहना है कि किसान जरूरत के अनुसार ही खाद का इस्तेमाल करें, उसे लेकर कृषि विभाग पंजाब की ओर से काफी प्रयास किए गए हैं। जिसके तहत किसानों को अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवाने के लिए प्रेरित तो किया ही जा रहा है, इसके साथ ही एक एजेंसी की मदद से अपने स्तर पर पंजाब में जगह जगह से मिट्टी के सैंपलों की जांच भी करवाई जा रही है। पंजाब में एक साल के दौरान करीब 23 लाख चालीस हजार सैंपलों की जांच की गई है। उस जांच के मुताबिक गांवों में फर्टिलिटी मैप लगाए गए हैं जिससे हरेक गांव की मिट्टी की पोजीशन की जानकारी मिलती है।
ऐसे घटी रासायनिक उर्वरर्कों की खपत (आंकड़े हजार टन मेंं)
वर्ष | नाइट्रोजन | फास्फोरस | पोटाश |
2015-16 | 1447 | 418 | 78 |
2016-17 | 1458 | 411 | 48 |
2017-18 | 1401 | 402 | 75 |
2018-19 | 1434 | 333 | 54 |
(स्रोत: PAU डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर)
ऐसे बढ़ी पैदावार (हजार टन में)
वर्ष | गेहूं | धान |
2015-16 | 16068 | 17621 |
2016-17 | 17636 | 18864 |
2017-18 | 17830 | 19972 |
2018-19 | 18209 | 19136 |
(स्रोत: पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना)
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