तीसरी आंखः देह व्यापार के खिलाफ पुलिस की छापामारी, भनक नहीं लगने से ADCP तिलमिलाईं
रेड का पता चलने पर तिलमिलाई एडीसीपी उस समय तो चुप रहीं मगर अधिकारियों के जाते ही सारी भड़ास थाना प्रभारी पर निकाल दी।
लुधियाना [राजन कैंथ]। सीपी के निर्देश पर एडीसीपी इन्वेस्टिगेशन दयामा हरीश कुमार के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने बस अड्डा इलाके के होटलों में छापामारी की, जिसमें एसीपी साइबर सेल व थाना बस्ती जोधेवाल प्रभारी को साथ रखा गया। थाना डिवीजन पांच का इलाका होने के बावजूद वहां के प्रभारी को बाद में बुलाया गया। पुलिस ने वहां से 16 युवतियों समेत 35 लोगों को देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया। छापामारी में खास बात यह रही कि इलाके की एडीसीपी गुरप्रीत पुरेवाल को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। जाहिर सी बात है, सीपी पुरेवाल को रेड में शामिल नहीं करना चाहते थे। रेड का पता चलने पर तिलमिलाई एडीसीपी उस समय तो चुप रहीं, मगर अधिकारियों के जाते ही सारी भड़ास थाना प्रभारी पर निकाल दी। लुधियाना में यह पहला मामला है जब पुलिस ने इतनी संख्या में देह व्यापार के आरोपितों को गिरफ्तार किया हो।
छलका सीपी का दर्द
सीपी राकेश अग्रवाल का दर्द तब छलक आया जब एक युवक ने उन्हें दिल को छू लेने वाला मैसेज किया। तीन महीने पहले शहर में सरकारी लॉटरी के नाम पर चल रहे दड़े सट्टे के मामलों में पुलिस ने 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया तो शहर में लॉटरी का धंधा बंद हो गया। उसी से दुखी होकर एक युवा ने सीपी को लिखा कि सरकार ने लॉटरी बंद कर दी तो उसके पिता को दड़े-सट्टे की दुकान करनी पड़ी। उम्र के इस पड़ाव में वो कुछ करने लायक भी नहीं है। घर में खाने के लाले पड़ गए। वो खुद अभी इस लायक नहीं है कि अपने माता पिता को सम्मानजनक जीवन की सुविधाएं दे सके। युवक का मैसेज देखकर पसीजे सीपी ने कहा ऐसे मैसेज देख दिल दुखता है। लेकिन मजबूरी ऐसी है कि चाहकर भी कुछ कर पाने में असमर्थ हैं।
सीपी की घुड़की से लाइन पर आए
कमान अगर सही हाथों में हो तो तीर भी निशाने पर ही लगता है। पुलिस पहले आम आदमी को इंसान नहीं समझती थी, लेकिन अब नए पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल की घुड़की के बाद लाइन पर आ गई है। पहले जहां बड़ी-बड़ी वारदातों के बाद भी मामला दर्ज कराने में थाने के चक्कर लगा-लगा कर पीडि़त के तलवे घिस जाते थे। अब कमिश्नर की हिदायतों के बाद छोटी सी घटना पर भी पुलिस झट से केस रजिस्टर कर लेती है। पहले पुलिस केस दर्ज करने में इसलिए भी आना कानी करती थी, क्योंकि उसकी डिटेल उच्च अधिकारियों के पास चली जाती थी और मामला हल न होने पर जवाब देना पड़ता था। लेकिन अब पर्चा दर्ज न होने पर लोग सीधे कमिश्नर के दफ्तर पहुंच जाते हैं। उसके बाद जहां जिस किसी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है, उसकी कमिश्नर क्लास लगा देते हैं।
सबकी पहुंच जानते हैं सीपी
लुधियाना के पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल स्थानीय नेताओं की पहुंच को अच्छे से जानते हैं। यही कारण है कि बाजारों व सड़कों पर फैले अतिक्रमण के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई, लॉटरी की दुकानों को बंद कराना और देह व्यापार के अड्डे पर सबसे बड़ी कार्रवाई संभव हो सकी। इसके अलावा भी लोक भलाई के कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें शुरू किया गया है। वरना आज तक जब कभी पुलिस अथवा प्रशासन ने अवैध कारोबार अथवा अतिक्रमण के खिलाफ मोर्चा खोला, उसमें अपने निजी फायदे के लिए नेता टांग अड़ाते रहे हैं, लेकिन इस बार हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई पर किसी भी नेता ने अपनी जुबान तक नहीं खोली। स्थानीय नेताओं को पता है कि सीपी राकेश अग्रवाल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सुरक्षा में उनके साथ रह चुके हैं, और उन्हें अच्छे से पता है कि शहर के नेताओं की पहुंच कहां तक है।