NGT के निर्देशों का पालन नहीं करने पर लुधियाना निगम के एसई व ट्रस्ट एक्सईएन के खिलाफ एक्शन, सैलेरी अटैच करने के आदेश
फरवरी में स्थानीय अदालत ने एनजीटी के निर्देशों का पालन करने के लिए निगम और ट्रस्ट के अधिकारियों को आदेश दिए थे। इस केस में निगम कमिश्नर बीएंडआर ब्रांच के एसई और एक्सईएन नगर सुधार ट्रस्ट को पार्टी बनाया गया था।
जागरण संवाददाता, लुधियाना: पेड़ों के आसपास इंटरलाकिंग टाइलें लगाने में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देशों का पालन नहीं करने पर स्थानीय अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) हरसिमरनजीत सिंह की अदालत ने नगर निगम ने बीएंडआर ब्रांच के एसई (सीनियर एक्सईएन) राहुल गगनेजा और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के एक्सईएन बूटा राम को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ उनकी सैलेरी अटैच करने के आदेश जारी किए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 25 मई को होगी। अदालत ने दोनों अधिकारियों को अगली पेशी में खुद पेश होने के लिए कहा है।
निगम और ट्रस्ट के अधिकारियों ने उड़ाई निर्देशों की धज्जियां
इंजीनियर कपिल अरोड़ा ने बताया कि शहर के विकास के नाम पर लंबे समय से सड़कों के किनारे इंटरलाकिंग टाइलें लगाने का काम चल रहा है। यह काम नगर निगम और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से करवाया जा रहा है। टाइलें लगाते समय ठेकेदारों ने पेड़ों के आसपास खाली जगह नहीं छोड़ी है। एनजीटी के निर्देश हैं कि पेड़ों के आसपास एक मीटर के दायरे में कंक्रीट से कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है। निगम और ट्रस्ट के अधिकारियों ने इन निर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई हैं।
उन्होंने इस मामले को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की थी। पिछले साल 10 मार्च, 2021 को एनजीटी ने निर्देश जारी किए थे कि पेड़ों के आसपास इन टाइलों को नहीं लगाया जाए। इसके बाद भी अधिकारियों ने कोई परवाह नहीं की। दोबारा शिकायत करने पर एनजीटी ने यह मामला स्थानीय अदालत को भेज दिया था। फरवरी में स्थानीय अदालत ने एनजीटी के निर्देशों का पालन करने के लिए निगम और ट्रस्ट के अधिकारियों को आदेश दिए थे। इस केस में निगम कमिश्नर, बीएंडआर ब्रांच के एसई और एक्सईएन नगर सुधार ट्रस्ट को पार्टी बनाया गया था।
अधिकारियों को जारी हुआ कारण बताओ नोटिस
आदेश के बाद भी पेड़ों के आसपास टाइलें लगाते समय एक मीटर के दायरे में खाली जगह नहीं छोड़ी गई। अदालत ने अधिकारियों से जवाब मांगा, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने इसके बाद शहर के अन्य हिस्सों में लगाई टाइलों की फोटो लेकर अदालत में अपील दायर कर अवमानना का केस चलाने का आग्रह किया। इस पर बीती 7 मई को अदालत ने दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनकी सैलेरी अटैच करने के आदेश जारी किए।
कोर्ट का कड़ा रुख
- सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में जारी किए हैं आदेश
- कारण बताओ नोटिस जारी कर दोनों अधिकारियों को पेश होने के निर्देश
- अब 25 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई
- फरवरी में एनजीटी ने स्थानीय अदालत को भेज दिया था केस
अदालत के आदेश पर ही जारी होती है सैलेरी
अदालत अपने आदेश में किसी अधिकारी या कर्मचारी के वेतन पर आगामी आदेश जारी होने तक रोक लगा देती है। जब तक अदालत आदेश नहीं देगी उक्त अधिकारी को वेतन की अदायगी नहीं होगी। अदालत के निर्देश नहीं मानने वाले मामलों में अधिकतर सैलेरी अटैच की जाती है।