क्या करें, नौकरी ही ऐसी है.. परिवार के साथ घटनास्थल पर पहुंचे एसीपी
लूट वाले क्षेत्र के एसीपी मंदीप संधू छुट्टी पर थे और पत्नी के साथ अमृतसर गए थे। वह अमृतसर से लौटे ही थे कि सूचना मिली कि उनके क्षेत्र में लूट हुई है। अब एसीपी करें तो क्या करें।
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। पुलिस वालों की नौकरी अजीब होती है। उनके लिए कार्यक्रम, सेलिब्रेशन व छुट्टी का कोई महत्व नहीं होता। शिवपुरी इलाके में लूट हुई थी। सभी अफसर मौके पर पहुंच गए और लुटेरों की तलाश पर विचार करने लगे। लूट वाले क्षेत्र के एसीपी मंदीप संधू छुट्टी पर थे और पत्नी के साथ अमृतसर गए थे। वह अमृतसर से लौटे ही थे कि सूचना मिली कि उनके क्षेत्र में लूट हुई है। अब एसीपी करें तो क्या करें। एक ओर परिवार साथ में था तो दूसरी ओर कर्तव्य निभाने की जिम्मेदारी। सिविल ड्रेस में ही परिवार के साथ मौके पर पहुंच गए। घटनास्थल से थोड़ी दूर कार खड़ी कर दी। पत्नी को कार में ही बैठाकर सीधे मौके पर पहुंच गए। घटनास्थल पर अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। उसके बाद परिवार को ड्राइवर के साथ भेज दिया। क्या करें, नौकरी ही ऐसी है।
कांग्रेस विधायक को किसी ने नहीं छापा
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत से पंजाब में पार्टी के नेता जहां फिर जोश में सड़कों पर उतर आए, वहीं लुधियाना के गिल विधानसभा से कांग्रेस विधायक कुलदीप वैद्य भी अति उत्साहित हो गए। उन्होंने आप की जीत पर बयानबाजी कर सुर्खियों में आने की खूब कोशिश की। आनन-फानन में उन्होंने जिला सूचना अधिकारी के मार्फत मैसेज भेजा कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों पर बयान देंगे। मीडिया में जो इसके लिए इच्छुक हैं, वह इस नंबर पर संपर्क करे। अगले दिन किसी समाचार पत्र में कोई बयान नहीं आया। एक कांग्रेस नेता ने बताया कि विधायक जी ने मीडिया वालों को बुलाया जरूर था, लेकिन शहर का कोई अखबारनवीस उनके पास गया नहीं। कुछ सोशल मीडिया वाले जरूर विधायक जी के पास पहुंचे और उनकी बाइट ली, लेकिन उसमें से भी ज्यादातर ने बयान को प्रसारित नहीं किया।
अब रात को नहीं मिलेगा खाना
लुधियाना की सड़कें पहले रात को भी जवां होती थीं। 12 बजे के बाद भी लोग होटलों और रेस्टोरेंट में खानपान का लुत्फ उठाते थे। खासकर रेलवे स्टेशन के पास के इलाकों में होटल-ढाबे खुले रहते थे। कहीं खाना न मिले तो लोग रेलवे स्टेशन पहुंचते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। 12 बजने से पहले ही पीसीआर की बाइक हॉर्न मारते हुए वार्निंग दे देती हैं और सबकुछ धड़ाधड़ बंद होने लगता है। इसके बाद कोई ढाबा संचालक ग्राहक को खाना देने की हिम्मत नहीं करता। पिछले दिनों एक ढाबा मालिक शटर गिराने के बाद बाहर बैठा था। पुलिस वाले आकर बोले, आपको लेकर चलना है। वजह पूछने पर कहा कि रात को ढाबा चला रहे हो। उसने शटर उठाया और कहा देख लें, अंदर कोई नहीं है। पुलिस ने पूछा कि फिर यहां क्यों बैठे हो, जरूर खाना सप्लाई कर रहे होगे।
नेता जी तो एनआरसी बोलने में अटक गए
भाजपा के शीर्ष नेता सीएए व एनआरसी को अपनी प्रतिष्ठा बताकर विपक्ष से लड़ रहे हैं। इसके लिए लोगों के बीच जाकर सीएए और एनआरसी की जरूरत भी बता रहे हैं, लेकिन कई बड़े नेता सीएए और एनआरसी की शब्दावाली पर अटक जाते हैं। ऐसा ही नजारा लुधियाना में देखने को मिला। प्रदेश के नवनियुक्त अध्यक्ष लुधियाना में पहले दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। शीर्ष भाजपा नेताओं की मीटिंग बुलाई गई। इसमें कुछ पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया। एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बड़े जोश में भाषण दे रहे थे, लेकिन सीएए और एनआरसी बोलने में अटक जाते। दो-तीन बार उन्होंने बोलने का प्रयास भी किया, लेकिन बोल नहीं पाए। पीछे से किसी ने कहा-एनआरसी। तब जाकर नेता जी ने सही शब्द बोला। बाद में झेप मिटाने के लिए उन्होंने सीएए और एनआरसी का अंग्रेजी में फुल फार्म भी बताया।