Fitness Certificate Scam : संगरूर में प्रतिमाह बिना मुआयना ही 2500 कमर्शियल वाहनों को जारी कर रहे थे सर्टिफिकेट, आरटीए, एमवीआइ समेत स्टाफ पर केस
विजिलेंस ब्यूरो ने आरटीए दफ्तर संगरूर व एमवीआइ दफ्तर संगरूर द्वारा कमर्शियल वाहनों का बिना फिजिकल जायजा लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के घोटाले का पर्दाफाश किया। एमवीआइ दफ्तर के दो कर्मचारियों एक प्राइवेट एजेंट को गिरफ्तार कर उनके पास से 40 हजार की नकदी व अहम दस्तावेज बरामद किए।
जागरण संवाददाता, संगरूर। विजिलेंस ब्यूरो ने आरटीए दफ्तर संगरूर व एमवीआइ दफ्तर संगरूर द्वारा विभिन्न प्रकार के कमर्शियल वाहनों का बिना फिजिकल जायजा लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के बड़े स्तर पर घोटाले का पर्दाफाश किया। इस काम को अंजाम देने में संलिप्त आरटीए संगरूर, एमवीआइ संगरूर, क्लर्क, डाटा एंट्री आपरेटर, दो दलाल व अन्य प्राइवेट एजेंटों के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो पटियाला ने मामला दर्ज किया है।
वहीं एमवीआइ दफ्तर के दो कर्मचारियों, एक प्राइवेट एजेंट को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर उनके पास से 40 हजार रुपये की नकदी व कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं। मामले की जांच-पड़ताल के दायरे में आरटीए व एमवीआइ दफ्तर के पुराने व मौजूदा स्टाफ सहित अन्य प्राइवेट एजेंटों को भी लिया जाएगा। गौर हो कि हर माह 2000-2500 से अधिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं, जबकि इतनी बड़ी गिनती में वाहनों का महीने भर में मौके पर फिटनेस जांच करना संभव नहीं है।
जानकारी अनुसार विजिलेंस विभाग ने शिकायत के आधार पर जांच-पड़ताल में पाया कि आरटीए संगरूर, एमवीआइ अधिकारी, दफ्तर का स्टाफ व प्राइवेट एजेंट मिलकर राज्य सरकार के निर्धारित नियमों का पालन किए बिना ही विभिन्न किस्म के वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते थे। इसके बदले में 1000-2800 रुपये प्रति वाहन रिश्वत के तौर पर वसूल किए जाते थे। वाहन के माडल के हिसाब से रिश्वत की रकम तय होती थी। इसके लिए न तो वाहन को मौके पर बुलाया जाता तथा न ही वाहन की फिटनेस का जायजा लेते, बल्कि बिना पड़ताल के ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता। ऐसे में कंडम व खस्ताहाल वाहनों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट देकर सड़कों पर उतारने की अनुमति मिल जाती थी। जबकि नियम अनुसार दफ्तर में मौके पर वाहन की फिजिकल जांच करके ही वाहनों की स्थिति के अनुसार सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
इन शिकायतों के आधार पर विजिलेंस की टीम ने एमवीआइ संगरूर के दफ्तर में अचानक जांच की तो इस घोटाले की परते खुलीं। विजिलेंस ने मौके से क्लर्क गुरचरण सिंह, डाटा एंट्री आपरेटर जगसीर सिंह, एजेंट धरमिंदर पाल उर्फ बंटी निवासी संगरूर को गिरफ्तार करके उनके पास से 40 हजार रुपये रिश्वत राशि व दस्तावेज भी बरामद कर लिए।
इस मामले में आरटीए रविंदर सिंह गिल, एमवीआइ महेंद्रपाल, क्लर्क गुरचरण सिंह, आपरेटर जगसीर सिंह, दलाल धरमिंदर पाल उर्फ बंटी व सुखविंदर सिह सुक्खी व अन्य प्राइवेट एजेंटों के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो थाना पटियाला में मामला दर्ज कर लिया। प्राथमिक जांच में सामने आया कि यह व्यक्ति पिछले सात-आठ वर्ष से यह घोटाला कर रहे हैं व हर माह दो-अढ़ाई हजार से अधिक वाहनों को सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं व हर माह 35-40 लाख रुपये की रिश्वत की रकम हासिल कर रहे हैं। जिसके चलते अनुमान है कि अब तक यह अधिकारी करोड़ों रुपये की कमाई कर चुके हैं। इन दफ्तरों में वर्षों से तैनात सभी अधिकारियों व स्टाफ की भूमिका की भी जांच की जाएगी। मामले में संलिप्त पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।