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बोलने की कला नहीं टूटने देती : साध्वी रतन

साध्वी रत्न संचिता ने कहा कि जीवन में हो उत्साह और मेहनत का हो प्रवाह तो मिलेगी सफलता। अरे एक मोची का काम करने वाला ही धीरे धीरे मेहनत व उत्साह से बाटा बन जाता है। और एक लुहार जो लोहे का काम करने वाला है वो भी धीरे-2 उत्साह से टाटा बन जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 06:09 PM (IST)
बोलने की कला नहीं टूटने देती : साध्वी रतन
बोलने की कला नहीं टूटने देती : साध्वी रतन

संस, लुधियाना: तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज, नवकार आराधिका महासाध्वी सुनैया म., प्रवचन भास्कर कोकिला कंठी साध्वी रत्न संचिता महाराज, विद्याभिलाषी अरणवी म., नवदीक्षिता साध्वी अर्शिया, नवदीक्षिता आर्यनंद ठाणा-6 एस एस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में सुखसाता विराजमान है। इस अवसर पर चल रही धर्म सभा में साध्वी रत्न संचिता ने कहा कि जीवन में हो उत्साह और मेहनत का हो प्रवाह तो मिलेगी सफलता। अरे एक मोची का काम करने वाला ही धीरे धीरे मेहनत व उत्साह से बाटा बन जाता है। और एक लुहार जो लोहे का काम करने वाला है वो भी धीरे-2 उत्साह से टाटा बन जाता है। ये सब तभी होता है। जब मेहनत व उत्साह का जज्बा होता है। अगर आप सफलता चाहते हो तो कुछ बातों पर ध्यान रखें। सादा जीवन हो। सजावट में बनावट व दिखावट में सदा गिरावट आएगी। आवश्यकताओं को कम करें, क्योंकि मन बड़ा चंचल है। जिस इंसान को बोलने की कला होती है वो कभी घर परिवार व समाज को टूटने नहीं देता। अरे कड़वा बोलने वाला मीठा शहद भी बेच नहीं पाता और मीठा बोलने वाला अपनी कड़वी मिर्ची भी बेच देता है। अरे पैसे में तो ताकत हो सकती है, पर जो ताकत जुबां में है वो पैसे में भी नहीं है।

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