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1965 Indo-Pak War: शहादत का जाम पीया पर फाजिल्का पर नहीं होने दिया कब्जा, आज के ही दिन हुआ था युद्ध विराम

1965 Indo-Pak War देश के वीर सैनिकों ने फाजिल्का पर कब्जा जमा चुके दुश्मन पर कड़े प्रहार करके उसे पीछे धकेल दिया था। 3 सितंबर 1965 को शुरू हुआ युद्ध पर 23 सितंबर के दिन ही विराम लगा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 10:29 AM (IST)
1965 Indo-Pak War: शहादत का जाम पीया पर फाजिल्का पर नहीं होने दिया कब्जा, आज के ही दिन हुआ था युद्ध विराम
भारत-पाक सीमा के निकट आफवाला में बनी शहीदों की समाधि पर नमन करते आदित्य चौटाला, मनोज झींझा व अन्य।

संवाद सूत्र, फाजिल्का। भले ही 1965 के भारत-पाक युद्ध को 45 साल बीत चुके हैं लेकिन फाजिल्का के लोग इस लड़ाई को हमेशा याद करते हैं। देश के बहादुर सैनिकों ने फाजिल्का पर कब्जा जमा चुके दुश्मन पर कड़े प्रहार करके उसे पीछे धकेल दिया था। शहादत का जाम पीकर फाजिल्का को उसके कब्जे से मुक्त करवाया था। 3 सितंबर, 1965 को युद्ध की शुरुआती हुई थी। 20 दिन बाद आज ही के दिन यानी 23 सितंबर, 1965 को युद्ध विराम की घोषणा की गई थी।

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इस भयानक युद्ध में भारतीय सैना ने दुश्मनों को बुरी तरह पराजित करके विजय पाई थी। फाजिल्का सैक्टर में भी 3 सितंबर 1965 की शाम पाकिस्तानी सेना ने हवाई हमला कर दिया था। रात में दुश्मन ने अंतरराष्ट्रीय सुलेमानकी-सादकी चौकी के अलावा अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया था। सीमावर्ती गांव खानपुर व चाननवाला में कब्जा करने से पहले ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। पाकिस्तानी सेना ने उनके मकान ध्वस्त कर दिए और उनका समान, ईंटें यहां तक कि पेड़ों को भी काटकर ले गए।

बार्डर एरिया विकास फ्रंट के अध्यक्ष एलडी शर्मा ने बताया कि पाक रेंजर सीमावर्ती कई गांवों पर कब्जा करने के बाद जब चाननवाला गांव के रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ने लगे तो फिरोजपुर से आई 3/9 गोरखा राइफल्स की दो कंपनियों के जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग करके दुश्मन को पीछे धकेल दिया। दुश्मन अपने बंकर छोड़कर भाग गए। यहां तक कि पाक रेंजर अपने रेंजर साथियों के शवों को भी नहीं ले गए।

गांव वासियों सोहन लाल व हरी राम सहित कई ग्रामीणों ने होमगार्ड के जवानों के साथ मिलकर साबुना नहर पर दुश्मनों को ललकारा। उनमें से कई को पाक रेंजरों ने गिरफ्तार कर लिया था। युद्ध में अपनी वीरता दिखाने वाले भारतीय सैनिकों को विभिन्न पदकों से नवाजा गया। जो जवान शहीद हुए, उनकी याद में गांव आसफवाला के पास शहीद स्मारक बनाई गई, जहां देश भर से आने वाले लोग शीश झुकाते हैं।

शहीद सैनिकों को किया नमन

गांव आसफवाला में बनी शहीद सैनिकों के समाधि स्थल पर सिरसा हरियाणा से आए चौधरी आदित्य चौटाला जिला प्रधान भाजपा, उनके साथ मनोज झींझा ने शहीदों को श्रद्धाजलि अर्पित कर नमन किया। इस मौके पर बार्डर एरिया विकास फ्रंट के प्रधान एलडी शर्मा ने 1965 के भारत-पाक युद्ध की आंखों देखी दास्तां सुनाई तो सभी भावुक हो गए। उन्होंने हवालदार जस्सा सिंह के बारे में बताया जिन्होंने पाकिस्तानी मोर्चे में जाकर दुश्मनों को मारा व देश के लिए शहीद हुए। 

भारत-पाक सीमा की सादकी चौकी पर शहीदों की जमीन को नमन करते चौ. आदित्य चौटाला ने बताया कि वो अपनी टीम को साथ लेकर जल्द ही यहां कोई देशभक्ति का कार्यक्रम रखेंगे। उन्होंने बताया कि उनके दादा स्व. देवी लाल (पूर्व उप प्रधानमंत्री) देशभक्ति का जज्बा लेकर इस बार्डर पर आते रहते थे। वह उनकी याद में सादकी बार्डर पर रिट्रीट देखने वाले दर्शकों के बैठने के लिए शेड बनवाना चाहते हैं।


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