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Pulses Price Rise: दालों पर चढ़ी महंगाई की परत ने बिगाड़ा जायका, होलसेल में सौ रुपये किलो बिक रही अरहर की दाल

Pulses Price Rise कारोबारियों का तर्क है कि मांग और आपूर्ति के बीच गैप बनने एवं आयात में सुस्ती के कारण ही कीमतें बढ़ी हैं। आगे त्योहारी सीजन की मांग भी चल रही है। ऐसे में दालों की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:30 AM (IST)
Pulses Price Rise: दालों पर चढ़ी महंगाई की परत ने बिगाड़ा जायका, होलसेल में सौ रुपये किलो बिक रही अरहर की दाल
दालों पर चढ़ रही महंगाई की परत ने लोगों का स्वाद बिगाड़ दिया है। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, जेएनएन। Pulses Price Rise: दालों पर चढ़ रही महंगाई की परत ने लोगों का स्वाद बिगाड़ दिया है। अरहर की दाल के होलसेल दाम बीस रुपये प्रति किलो से अधिक उछल गए हैं, जबकि अन्य दालों की कीमतों में उतना फर्क नहीं पड़ा है। होलसेल में अरहर की दाल सौ रुपये प्रति किलो एवं रिटेल में 120 से 125 रुपये प्रति किलो में मिल रही है। जबकि उड़द की दाल के दाम भी सौ रुपये प्रति किलो से उपर चल रहे हैं।

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कारोबारियों का तर्क है कि मांग और आपूर्ति के बीच गैप बनने एवं आयात में सुस्ती के कारण ही कीमतें बढ़ी हैं। आगे त्योहारी सीजन की मांग भी चल रही है। ऐसे में दालों की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है। लुधियाना की होलसेल मार्केट में अरहर की दाल का चार माह पहले दाम अस्सी रुपये था, जोकि अब बढ़ कर सौ रुपये से अधिक हो गया है। इसके अलावा मूंग धुली की कीमत नब्बे रुपये से बढ़ कर सौ रुपये, मूंग साबुत अस्सी रुपये से बढ़ कर नब्बे रुपये, उड़द धुली के दाम नब्बे रुपये से उछल कर 110 रुपये, उड़द साबुत के दाम सत्तर रुपये से बढ़ कर नब्बे रुपये, उड़द टुकड़ा के दाम सत्तर रुपये से उछल कर नब्बे रुपये, मसूर धुली सत्तर रुपये से बढ़ कर अस्सी रुपये,मसूर साबुत के दाम साठ रुपये से बढ़ कर सत्तर रुपये, चना दाल के दाम पचास रुपये से बढ़ कर साठ रुपये, राजमा चित्रा के दाम नब्बे रुपये से बढ़ कर 105 रुपये, राजमाह जम्मू के दाम अस्सी रुपये से बढ़कर नब्बे रुपये पर पहुंच गए हैं।

दाल की आवक में कमी आई

कारोबारियों का कहना है कि मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण बीस फीसद तक फसल बर्बाद हो गई। इससे दाल की आवक में कमी आई है। माहिरों का यह भी कहना है कि खरीफ सीजन में दालों का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। ऐसे में नई फसल आने पर कीमतों में नर्मी आ सकती है। देश में करीब 138 लाख हेक्टेयर जमीन में दालों की खेती की गई है, जोकि पिछले साल के 131.76 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 6.11 फीसद अधिक है।

बारिश के चलते काफी फसल बर्बाद

लुधियाना दाल डीलर एसोसिएशन के सेक्रेटरी संजीव गुप्ता के अनुसार बारिश के चलते काफी फसल बर्बाद हो गई। इसके अलावा त्योहारी सीजन के चलते बाजार में मांग लगातार बनी हुई है। बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच गैप बना हुआ है। ऐसे में कीमतों में अभी एक दो माह तक मजबूती रहेगी।


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