साधना के कांटों से भरे रास्ते पर चलता है साधक : रमेश मुनि
एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में रमेश मुनि मुकेश मुनि व मुदित मुनि सुखसाता विराजमान हैं।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में रमेश मुनि, मुकेश मुनि व मुदित मुनि सुखसाता विराजमान हैं।
गुरुदेव रमेश मुनि ने कहा कि साधक अपने साधना के पथ पर बिना किसी रुकावट के तभी आगे बढ़ सकता है, जब वह अपनी दुर्बलताओं के प्रति सजग रहे। इनके प्रति निदा का भाव उसके ह्दय में बना रहे और वह अपने अंतर्मन में इनसे बचने का संकल्प करता है। यह संभव नहीं है कि साधक साधना के कांटों भरे रास्ते पर चलता है और उससे कहीं भी कोई भूल नहीं हो।
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी गलती को समझ कर भी उसका प्रतिकार नहीं करना चाहता या उसकी उपेक्षा करता है, तो समझना चाहिए कि वह साधना पथ से विचलित हो गया है। जैसे भार उठाने वाला वाहक अपना भार उतार कर अत्यंत हल्का महसूस करता है। अपने पापों को बुरा समझने वाला धीरे-धीरे जरूर पापों से मुक्त हो जाता है। भूल हो जाना पाप नहीं हैं। वास्तव में पाप तो भूल करना और उसे छिपाने का यत्न करना है। अगर ऐसा न किया जाए तो आत्मा दूषित हो जाती है और साधना सिर्फ दिखावा बनकर रह जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि बेकार बोलना या बिना किसी पूछे किसी को सलाह देना भी त्रुटिपूर्ण है। बेकार बोलने से शक्ति क्षीण होती है। बिना पूछे सलाह देने से दूसरों के मन में अपने प्रति अनादर की भावना पैदा होती है। असत्य बोलना भी बुराई है। बिना पूछे सलाह देने पर इज्जत भी कम हो जाती है। इसलिए जो बोले सही बोल, ताकि किसी की भावना को ठेस न पहुंचे।