पर्दा शर्म का प्रतीक : अरुण मुनि
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में विराजमान गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि महल में तीन चीजें अत्यावश्यक है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में विराजमान गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि महल में तीन चीजें अत्यावश्यक है। प्यार, फर्ज और जिम्मेदारी। इन तीनों के बिना महल भी बेकार है। आज महल में पर्दे लगाएंगे। पर्दे लगाने का तरीका बड़ा सभ्य है। पहले भोजन व भजन दोनों पर्दे में होते थे पर आज ये दोनों ही खुले में हो रहे हैं। जब से पर्दा प्रथा खत्म हुआ है। तबसे वासना ने भी अपने पंख फैला लिए हैं। खिड़की पर पर्दे बड़े जरूरी है। पर्दा शर्म का प्रतीक होता है। अत: आज मानव महल में भी लज्जा रुपी पर्दे लगाइए। जिसकी आंखों में लाज होती है उसके सभी काम सिद्ध होते हैं। संसार में आज 90 प्रतिशत लज्जा ने ही रोक रखी है। लज्जा का अर्थ डर नहीं होता, बल्कि बड़ों की लिहाज होती है। पाप क्यों बढ़ रहे है? दुराचार व रेप के केस क्यों बढ़ रहे है? क्योंकि लज्जा खत्म होती जा रही है। लज्जा गुणों को पैदा करने वाली माता है। दुनिया की कोई भी साधना व मंत्र क्यों न हो सभी को संपूर्णता प्रदान करने वाली एकमात्र लज्जा है। अगर आंखों में शर्म व लज्जा का भाव हो तो वस्त्रों का इतना महत्व नहीं रहेगा। शर्म कहां करे, बड़ों का सामना करने में। गुरु कुल शास्त्र की मर्यादा तोड़ने में। चरित्र पर दाग लगाने के प्रसंग पर। दिए हुए वचन को न निभा पाने में। जिन हाथों से लिया है, उन्हीं हाथों से वापस भी करे। बड़ों को प्रणाम करने में। ज्ञान लेने में। उन्होंने कहा कि इंसान चेहरा तो साफ रखता है, जिस पर लोगों की नजर होती है, मगर दिन को साफ नहीं रखता, जिस पर ऊपर वाले की नजर होती है। कभी खुद को न गिरने दें, क्योंकि गिरी हुई इमारत की लोग ईंट भी उठाकर ले जाते है।