दोस्त के साथ बाइक पर जा रहे पुलिस वाले को समाजसेवी ने पढ़ाया पाठ
अब जनता तो जागरूक हो रही है लेकिन नियम बनाने वाले विभाग के अपने ही मुलाजिम उनका पालन नहीं कर रहे हैं।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। कोरोना महामारी से बचाव को लेकर प्रशासन ने कई आदेश जारी किए हैं। अब जनता तो जागरूक हो रही है, लेकिन नियम बनाने वाले विभाग के अपने ही मुलाजिम उनका पालन नहीं कर रहे हैं। ताजा किस्सा सिविल लाइंस स्थित केवीएम स्कूल के पास दिखा। एक पुलिस कर्मचारी अपने मोटरसाइकिल पर एक अन्य व्यक्ति के साथ जा रहा था। तभी रास्ते में समाजसेवी मोनू शर्मा ने उन्हें देखकर वहीं रोक लिया। उसके बाद दोपहिया वाहन पर एक ही सवारी के लागू किए नियम और शारीरिक दूरी का पालन करने का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया। मुलाजिम से कहा, आपके पुलिस कमिश्नर कोरोना से बचाव के लिए नियमों का पालन करने को कहते हैं, लेकिन आप खुद ही कानून तोड़ रहे हैं। इस पर मुलाजिम ने बहाना बनाया कि दवा लेकर आ रहे हैं। मामला गरमाते देख पुलिस वाले ने अपने साथी को ऑटो में बैठाकर भेजा और तब पीछा छुड़ाया।
डीसीपी की मामू से बात
कोविड-19 के कारण लॉकडाउन में प्रशासन ने कार में ड्राइवर के अलावा दो लोगों के ही बैठने की अनुमति दी हुई है। कर्फ्यू में तो बाहर निकलने पर ही पाबंदी है। ऐसे में भाई बाला चौक में शाम साढ़े सात बजे पुलिस ने नाका लगाया हुआ था। वहा पर डीसीपी ट्रैफिक सुखपाल सिंह बराड़ भी मौजूद थे। तभी एक कार को पुलिस मुलाजिमों ने रोका। उसमें ड्राइवर के अलावा चार लड़किया सवार थीं। तभी लड़किया बोलीं, हम ट्यूशन से आ रहे हैं। पुलिस कर्मचारी ने कहा कि साहब से बात करनी पड़ेगी। उनमें से एक लड़की कार से उतरी और डीसीपी से कहा, 'आपने मेरे मामू का नाम नहीं सुना। मेरे मामू पुलिस अफसर हैं।' इस पर डीसीपी ने मामू का नाम पूछकर उन्हें फोन लगाया। साथ ही अपने मातहत अफसर से पूछा कि मामू जी, आपकी भाजी नियम तोड़ रही है। बातचीत के बाद डीसीपी ने उनको जाने दिया।
चेतावनी पर भी नहीं माने
इन दिनों चौड़ा बाजार स्थित गुड़ मंडी के दुकानदारों में पुलिस कार्रवाई की काफी दहशत मची हुई है। वह इसलिए क्योंकि यह बाजार संकीर्ण है। पुलिस के स्पष्ट आदेश हैं कि दुकानदारों के वाहन बाजार में पार्क नहीं किए जा सकते। सिर्फ ग्राहकों के दोपहिया वाहन खड़े किए जा सकते हैं वह भी सिर्फ थोड़ी देर के लिए। बावजूद इसके दुकानदार और उनके कर्मी अपने वाहन ग्राहकों की पार्किंग में ही लगा रहे थे। एसीपी वरियाम सिंह ने पहले तो चेतावनी दी, मगर वे नहीं माने। अगले दिन एएसआइ सतनाम सिंह अपनी टीम लेकर पहुंचे और वहा लगे सभी दोपहिया वाहन जब्त कर लिए। कुछ को रिक्शे पर और कुछ को वॉलंटियर पैदल ही धक्का लगाकर थाने ले गए। उनमें कई ग्राहक थाने पहुंचे और फिर वेरिफिकेशन करवाई कि वह दुकानदार नहीं हैं। पुलिस ने ऐसे लोगों के वाहन छोड़ दिए, जबकि दुकानदारों और उनके कर्मचारियों के चालान काट दिए।
वॉलंटियरी का नहीं उतरा भूत
कर्फ्यू के दौरान पुलिस कर्मचारियों के साथ काफी वॉलंटियर लगाए गए। दुकानों व अन्य संस्थानों में काम करने वाले कई युवा भी इनमें शामिल थे। उद्देश्य था कर्फ्यू का पालन करवाना। शुरू में कई जगह वॉलंटियर्स ने धौंस दिखाई, लोगों के साथ झगड़े भी किए, लेकिन अब दिन में कर्फ्यू खत्म हो चुका है। इस कारण वॉलंटियर्स को भी अपने काम पर लौटना पड़ा। हालाकि फिर भी उनके सिर से वॉलंटियरी का भूत नहीं उतरा है। कई ऐसे वॉलंटियर हैं, जो दिन में काम और शाम को वॉलंटियर वाली टीशर्ट पहनकर सड़कों पर उतर आते हैं। इनमें राकेश कुमार नाम का वॉलंटियर भी है। वह पुलिस मुलाजिम के साथ खड़ा था। पूछा तो उसने कहा, 'दिन विच काम कर लैंदे आ ते शाम नूं जनाब दे नाल टाइम पास कर लैंदे आ। वॉलंटियरी करके लोका दी सेवा वी कर लई दी ए।' इसे कहते हैं पुलिसिया रौब झाड़ने की आदत।
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