अभी तक प्रिटिग उद्योग की 70 फीसद इकाइयां नहीं हो पाई हैं शुरू
सरकार ने अधिकृत क्षेत्रों व मिक्स लैंड यूज इलाकों में सशर्त औद्योगिक इकाइयों को चलाने की मंजूरी दी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : कर्फ्यू के बाद सरकार ने अधिकृत क्षेत्रों व मिक्स लैंड यूज इलाकों में सशर्त औद्योगिक इकाइयों को चलाने की मंजूरी दी, लेकिन अभी तक प्रिटिग उद्योग से जुड़ी 70 फीसद इकाइयां कामकाज शुरू नहीं कर पाई हैं। यह इसलिए. क्योंकि सरकार से हरी झंडी नहीं मिली। प्रिटिग की छोटी छोटी इकाइयां रिहायशी इलाकों में हैं, इन्हें वहां पर कारोबार शुरू करने की फिलहाल इजाजत नहीं है। ऑफ सेट प्रिटर्स एसोसिएशन ने सरकार को पत्र लिख आग्रह किया है कि रिहायशी इलाकों में लगी प्रिटिग इकाइयों को चलाने की मंजूरी दी जाए। इसके अलावा छोटे छोटे प्रिटर्स को एक प्लेटफार्म पर आकर काम करने के लिए भी एसोसिएशन की ओर से प्रेरित किया जा रहा है।
उद्यमियों का कहना है कि लुधियाना में प्रिटिग के बारह सौ से अधिक यूनिट्स हैं। इनमें से 840 रिहायशी इलाकों में हैं। अभी तक इनकी रौनक नहीं लौट पाई जबकि अधिकृत क्षेत्रों में लगी इकाइयों में से पचास फीसद ने कारोबार शुरू कर दिया। बाजार में काम की भी भारी कमी है, अधिकृत क्षेत्रों में चल रही इकाइयां भी क्षमता का आधे से कम ही इस्तेमाल कर पा रही हैं। उद्यमियों का तर्क है कि प्रिटिग में 65 फीसद काम औद्योगिक व व्यवसायिक क्षेत्र और 35 फीसद हिस्सेदारी स्कूल, कॉलेज व एजुकेशन सेक्टर की है। अभी एजुकेशन सेक्टर में स्कूल व कॉलेज नहीं खुले। इसके चलते वहां से भी काम नहीं निकल रहा है।
रौनक लौटने में एक साल की उम्मीद
ऑफसेट प्रिटर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रवीन अग्रवाल का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र का काम करने वाली इकाइयों में धीरे धीरे कारोबार हो रहा है। इसके अलावा पैकिग के लिए डिब्बे बनाने वाली इकाइयों के पास तीस से चालीस फीसद काम है। लॉकडाउन के बाद इंडस्ट्री को पटरी पर आने के लिए कम से कम एक साल का वक्त लग जाएगा।
एजुकेशन सेक्टर बंद होने के कारण थम गया कारोबार
एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी प्रो. कमल चोपड़ा का कहना है कि 70 फीसद इकाइयां एजुकेशन सेक्टर के लिए काम करती हैं। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद होने के कारण वहां से काम नहीं मिल रहा। इससे साफ है कि जब तक एजुकेशन सेक्टर शुरू नहीं होता, तब तक प्रिटिग उद्योग आगे नहीं बढ़ पाएगा। आगे का वक्त काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में छोटे प्रिटर्स को एक प्लेटफार्म पर लाकर उनको सुविधाएं देकर लागत कम करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि इंडस्ट्री बाजार की चुनौतियों का आसानी से मुकाबला कर सकें।