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बिना संदेश हो रहा ट्रेनों में प्रवेश

औद्योगिक शहर में बड़ी संख्या में काम करने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमिकों की एक ही तमन्ना थी कि ट्रेन में सफर का मैसेज पाकर घर पहुंचा जाए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:14 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 03:14 AM (IST)
बिना संदेश हो रहा ट्रेनों में प्रवेश
बिना संदेश हो रहा ट्रेनों में प्रवेश

डीएल डॉन, लुधियाना

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औद्योगिक शहर में बड़ी संख्या में काम करने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमिकों की एक ही तमन्ना थी कि ट्रेन में सफर का मैसेज पाकर घर पहुंचा जाए। शहर से मंगलवार तक 172 श्रमिक ट्रेनें रवाना हो चुकी हैं। पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर करने के लिए मैसेज का ज्यादा महत्व था। संदेश आने के बाद ही श्रमिकों को पिकअप प्वाइंट से बस में चढ़ने का अवसर मिलता था। अब जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि बिना मैसेज ही श्रमिकों का मेडिकल चेकअप कर सफर पर भेजा जाए। इसके चलते 12 ट्रेनों में 20 प्रतिशत (19,200) श्रमिक बिना मैसेज भेजे गए। पिकअप प्वाइंट पर टीम ने लोगों से आधार कार्ड का प्रूफ लेने के बाद ही इन्हें घर जाने की टिकट दी। सभी ट्रेनों में 1600-1600 पैसेंजरों को भेजा जा रहा है। मेडिकल चेकअप के बाद श्रमिकों को खाने का पैकेट और पानी की बोतल ट्रेन की बोगियों में दी जा रही हैं।

संघ की पहल से महिलाओं व बच्चों को मिली पहले टिकट

जालंधर बाइपास दाना मंडी के पटाखा ग्राउंड में मंगलवार दोपहर 12 बजे टिकट लेने के लिए लाइन में लगी महिलाओं ने कहा, कड़कती धूप परेशानी का सबब बनी है। इस पर श्री छठ पूजा संघ के चेयरमैन विजय सिंह, प्रधान धीरज कुमार ने प्रशासनिक टीम से बात की। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों की तादात कम है इसलिए इनकी लाइन ना लगाएं। इसके बाद टीम ने महिलाओं व बच्चों को पहले टिकट देकर बस में बैठा दिया।

यह श्रमिक स्पेशल ट्रेनें हुई रवाना

अररिया, भागलपुर बिहार, दरभंगा बिहार, गया बिहार, अमेठी उत्तर प्रदेश, रायबरेली उत्तर प्रदेश, अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश, अमेठी उत्तर प्रदेश, रायबरेली उत्तर प्रदेश, अयोध्या उत्तर प्रदेश, महाराजगंज उत्तर प्रदेश, बहराइच उत्तर प्रदेश।


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