ईद पर अस्पताल में मिली दुआओं से भावुक हुआ मुस्लिम युवक
लुधियाना हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर मनाये जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम एकता एवं सछ्वावना को बढ़ाते हैं। ऐसा ही कुछ चंडीगढ़ रोड स्थित मदर एंड चाइल्ड लु्रअस्पताल में सोमवर को तब दिखा जब पूरे उत्साह के साथ ईद मनाई गई। यहां ईद मनाने की भी एक खास वजह रही।
जागरण संवाददाता, लुधियाना
हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर मनाए जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। ऐसा ही कुछ चंडीगढ़ रोड स्थित मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में सोमवार को तब दिखा, जब पूरे उत्साह के साथ ईद मनाई गई। यहां ईद मनाने की भी एक खास वजह रही। अस्पताल में वार्ड नंबर 44 में मिल्लरगंज से कोरोना पॉजिटिव पाया गया 23 वर्षीय मुस्लिम युवक 19 मई को भर्ती करवाया गया है। जबकि बाकी 62 मरीज अलग-अलग धर्मो से संबंधित हैं। इस युवक के परिवार के सारे सदस्य होम क्वारंटाइन हैं। ऐसे में ईद पर पहली बार परिवार के सदस्यों के साथ ईद न मना पाने के चलते युवक वार्ड में मायूस था। उसने अपना यह दुख वार्ड में साथ रह रहे तीन आरपीएफ जवानों से साझा किया। जिसके बाद यह बात अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ. रीमा तक पहुंची।
इसके मद्देनजर डॉ. रीमा ने सुबह मिठाई के तीन डिब्बे मंगवाए और एसएमओ डॉ. अमिता जैन के साथ युवक के पास जाकर उसे ईद की मुबारकबाद दी। इसके बाद उसे ईद मुबाकरबाद और दुआएं देने वालों का अस्पताल में तांता सा लग गया। स्टाफ से लेकर आरपीएफ जवानों सहित हरेक मरीज इस युवक के पास गया और दिलासा दिया कि परिवार के सदस्य भले ही इस वक्त साथ नहीं हैं, लेकिन वे तो हैं।
उक्त युवक ने कहा कि अस्पताल में जिस तरह से दूसरे धर्मो के सभी मरीजों ने उसे ईद मुबारकबाद दी है, उससे वह काफी भावुक है।
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पड़ोसियों के नजरिये से आहत
इस युवक ने कहा कि एक तरफ तो उसे अस्पताल में लोगों से इतना प्यार मिला, जो उसे जानते तक नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर पड़ोसी हैं, जिनके साथ वह सालों से रह रहे हैं। मगर, कोरोना पॉजिटिव आते ही उनका नजरिया बदल गया। उनके परिवार के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है जैसे उन्होंने अपराध किया हो। पड़ोसी दूध, सब्जी व राशन तक घर नहीं आने नहीं दे रहे।
युवक ने बताया कि उन्होंने मोहल्ले के करियाना विक्रेता को फोन करके घर पर राशन पहुंचाने के लिए कहा। जब विक्रेता राशन देने गया, तो पड़ोसी पीछे पड़ गए कि क्यों राशन देने आया है। घर में गर्भवती पत्नी, बूढे मां-बाप, भाई का चार साल का छोटा बेटा है। इनके लिए दूध-सब्जी की तो रोज जरूरत पड़ती है। वहीं जब सारे रास्ते बंद हो गए, तो इलाका पार्षद उसके घर पर राशन देकर आए। जिसके लिए वह बेहद आभारी है।