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चार युद्ध लड़ने वाले महान योद्धा 102 वर्षीय मेजर गुरदयाल सिंह नहीं रहे

दूसरे विश्व युद्ध के महान योद्धा 102 वर्षीय मेजर गुरदयाल सिंह का निधन हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 01:24 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 01:24 AM (IST)
चार युद्ध लड़ने वाले महान योद्धा 102 वर्षीय मेजर गुरदयाल सिंह नहीं रहे
चार युद्ध लड़ने वाले महान योद्धा 102 वर्षीय मेजर गुरदयाल सिंह नहीं रहे

जासं, लुधियाना : दूसरे विश्व युद्ध के महान योद्धा 102 वर्षीय मेजर गुरदयाल सिंह का शनिवार को निधन हो गया। देश के लिए चार युद्धों में भाग लेने वाले मेजर सिंह को अंतिम संस्कार में सलामी देने के लिए सेना के अधिकारी विशेष तौर पर पहुंचे और उनकी पार्थिव देह पर तिरंगा ओढ़ाकर उन्हें सलामी दी गई।

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मेजर सिंह की अंतिम यात्रा सीमेटरी रोड स्थित उनके निवास 555 से रवाना हुई। मेजर के परिवार को इस बात का मलाल है कि देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले मेजर को कोई भी प्रशासनिक अधिकारी अंतिम यात्रा में सलामी देने नहीं पहुंचा जबकि प्रोटोकाल के अनुसार उनका मौजूद होना अनिवार्य है। मेजर गुरदयाल सिंह के पिता भी सैन्य अधिकारी थे और उनकी चौथी पीढ़ी का जवान भी सेना में तैनात है। मेजर गुरदयाल सिंह के पिता थे ब्रिटिश इंडियन आर्मी में

मेजर गुरदयाल सिंह के पिता रिसालदार दलीप सिंह ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अपने कर्तव्य का निर्वाह किया था। पहले विश्व युद्ध में वह मेसोपोटामिया में तैनात थे। उसके बाद मेजर गुरदयाल सिंह ने सेना ज्वाइन की। मेजर का जन्म लुधियाना के गांव हरनामपुरा में हुआ था। पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उन्होंने आजादी से पहले 1935 में माउंटेन आर्टिलरी ट्रेनिग ली और उसके बाद एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में तैनात 14 राजपूताना माउंटेन बैटरी ज्वाइन की। 1967 और 65 की जंग भी लड़ी थी मेजर ने

दूसरे विश्व युद्ध में मेजर बरमा में तैनात थे और उन्हे एक जापानी जवान ने गोली मारकर घायल कर दिया था, लेकिन उनके साथियों ने जापानी को मौके पर ही ढेर कर दिया। बाद में वह स्वस्थ हुए और आजादी के समय उन्होंने जम्मू-कश्मीर में मोर्चा संभाला। 1967 में सेवानिवृत्त होने से दो साल पहले 1965 युद्ध में भाग लिया। उस समय वह अमृतसर में तैनात थे। दोनों बेटे भी सेना से हैं रिटायर्ड

मेजर गुरदयाल के दोनों बेटे भी दादा और पिता की तरह जांबाज निकले और सेना से जुड़कर देश की सेवा की। उनके बड़े बेटे हरजिदरजीत सिंह ने भारतीय वायुसेना ज्वाइन की, जबकि छोटे बेटे हरमिदरजीत सिंह थल सेना से जुड़े। दोनों बेटे भी सेना से रिटायर्ड हो गए। चौथी पीढ़ी भी सेना में दे रही है सेवाएं

इसके बाद योद्धाओं के परिवार की चौथी पीढ़ी के कर्नल कर्ण गुरमिदर सिंह भी परंपरा को बरकरार रखते हुए थल सेना से जुड़े और वर्तमान में देश की सेवा कर रहे हैं। खासबात यह है कि उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट कर्नल मंदीप कौर भी डॉक्टर के रूप में सेना में तैनात है। यानी मेजर गुरदयाल सिंह का पूरा परिवार देश को समर्पित रहा।


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