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किशनगंज और किशनगढ़ के बीच उलझे रहे श्रमिक

रेलवे ने बिहार के किशनगंज के लिए ट्रेन तैयार किया और जिला प्रशासन ने ट्रेन रवानगी के लिस्ट में उत्तरप्रदे के किसनगढ़ को दर्शा दिया जबकि उत्तरप्रदेश में कोई किसनगढ़ रेलवे स्टेशन नहीं है बल्कि किसनगढ़ राजस्थान में है। जिससे जाने वाले लोग उलझ कर रह गए और अंतिम समय में जिला प्रशासन को भी कड़ी मश्कत करनी पड़ी तब जाकर ट्रेन को किशनगंज भेजा जा सका। 22 मई

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:06 AM (IST)
किशनगंज और किशनगढ़ के बीच उलझे रहे श्रमिक
किशनगंज और किशनगढ़ के बीच उलझे रहे श्रमिक

डीएल डॉन, लुधियाना :

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कामगारों को उनके गृह जनपद पहुंचाने के लिए प्रशासन ने 18वें दिन लुधियाना रेलवे स्टेशन से 11 विशेष रेलगाड़ियां चलाई। इनमें एक ट्रेन बिहार के लिए और दस उत्तर प्रदेश कि विभिन्न जिलों के लिए 17, 600 लोगों को लेकर रवाना हुई। ऐसा पहली बार हुआ कि 1200 की जगह 1600-1600 यात्रियों को भेजा गया। इस दौरान रेलवे और जिला प्रशासन में तालमेल की कमी के कारण शुक्रवार को बिहार जाने वाले कामगारों को भारी परेशानी का समाना करना पड़ा।

हुआ यूं कि रेलवे ने बिहार के किशनगंज के लिए ट्रेन तैयार किया लेकिन, जिला प्रशासन ने ट्रेन की रवानगी लिस्ट में किशनगंज की जगह उत्तर प्रदेश के किशनगढ़ को दर्शा दिया। जबकि, उत्तर प्रदेश में किशनगढ़ नाम का कोई रेलवे स्टेशन है ही नहीं। बल्कि, किशनगढ़ राजस्थान में है। इसको लेकर प्रशासन और कामगार काफी उलझन में रहे। अंतिम समय में जिला प्रशासन ने भूल सुधारते हुए ट्रेन को किशनगंज के लिए रवाना किया।

उल्लेखनीय है कि 22 मई को चलने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यह पहली ट्रेन थी जिससे सुबह पिकअप स्टेंड से लेकर गुरुनानक स्टेडियम और ट्रेन की बोगी तक असमंजस की स्थित बनी रही। पिकअप स्टेंड से अधिकतर यात्री बिहार के किशनगंज के लिए लाए गए थे। इसके बाद भी पैसेंजर कम पड़ गए। काफी देर तक यात्री और प्रशासन उहापोह की स्थिति में रहा कि ट्रेन किशनगंज जाएगी या किशनगढ़। आखिरकार रेल अधिकारी ने इस असमंजस को दूर किया और ट्रेन को बिहार के किशनगंज जाने की घोषणा कराई। उसके बाद जिला प्रशासन ने गुरुनानक स्टेडियम के बाहर किशनगंज जाने वाले यात्रियों को स्टेशन भेज कर ट्रेन में बैठाया।

यात्री कम पड़े तो साथ लगते स्टेशनों के भी श्रमिकों को बैठाया

पहले ही दिन किशनगंज जाने वाली पहली ट्रेन में 1600 पैसेंजर भेजना था लेकिन यात्री कम पड़ गए। इसके बाद स्टेडियम के बाहर से पूर्णिया, अररिया और साथ लगते अन्य स्टेशनों के यात्रियों को बिठा कर ट्रेन को रवाना किया गया। उल्लेखनीय है कि 22 मई को कुल 11 ट्रेनें चलाई गई जिसमें किशनगंज जाने वाली ट्रेन प्रशासनिक गलती की वजह से 45 मिनट की देरी से चली।

पानी के लिए तरबतर हुए लोग

उत्तर प्रदेश बिहार जाने वाले श्रमिकों को पहले मिनिरल वाटर की बोतल और भोजन की पैकेट दिया जा रहा था। लेकिन, 22 मई शुक्रवार को गुरुनानक स्टेडियम में नजारा बदला बदला सा नजर आया। श्रमिक भोजन तो दूर पानी के लिए गर्मी में पसीने से तरबतर होते रहे। 47 डिग्री सेल्सियस तापक्रम में लोग घंटों लाइन लगा कर वाटर टैंकर से गर्मपानी लेने को मजबूर रहे। कई श्रमिक पानी बोतल का डिमांड रखा तो पुलिस व अन्य कर्मी उन्हें फटकार लगाते हुए भगा दिया।

दिब्यांग को मिली सुविधा

गुरुनानक स्टेडियम में पहुंचे एक दिब्यांग को स्टेशन तक छोड़ने के लिए ट्राईसाइकिल का प्रबंध किया गया। यहां तैनात एक स्वयंसेवक रेलवे स्टेशन से ट्राई साइकिल लाकर उक्त दिब्यांग को उसपर बैठाकर रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंचाया। ट्रेन की बोगी में परिजनों के साथ बैठने के बाद दिब्यांग ने भी स्वयंसेवक और पुलिस की कार्यप्रणाली की सराहनी की तो उनके परिजन बिमल कुमार ने जिला प्रशासन का धन्यवाद किया।

इन जिलों के लिए रवाना हुई रेलगाड़ियां

किशनगढ़ बिहार सुबह 10:00 बजे

फतेहपुर उत्तर प्रदेश सुबह 11:15 बजे

मऊ उत्तर प्रदेश दोपहर 12:30 बजे

बस्ती  उत्तर प्रदेश बाद दोपहर 1:40 बजे

बलिया उत्तर प्रदेश दिन के 2:40 बजे

बांदा उत्तर प्रदेश शाम 5:10 बजे

बाराबंकी उत्तर प्रदेश शाम 6:20 बजे

डीडी नगर चंदौली उ.प्र. शाम 7:30 बजे

देवरिया उत्तर प्रदेश रात 8:40 बजे

गाजीपुर उत्तर प्रदेश रात 9:50 बजे

कौशांबी उत्तर प्रदेश रात 11:00 बजे


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