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कारोबारी बुलंदियां छूने के साथ जल संरक्षण पर फोकस

कनिका ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रेम भूषण बांसल के बेटे भरत बांसल ने कारोबारी सफर साझा किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 06:11 AM (IST)
कारोबारी बुलंदियां छूने के साथ 
जल संरक्षण पर फोकस
कारोबारी बुलंदियां छूने के साथ जल संरक्षण पर फोकस

राजीव शर्मा, लुधियाना

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कनिका ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रेम भूषण बांसल के बेटे एवं ग्रुप में चीफ एग्जिक्यूटिव अफसर (सीईओ) भरत बांसल ने अपने कारोबारी सफर में बुलंदियां छूने के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी फोकस किया। ग्रुप की कंपनियों में औद्योगिक प्रोसेस के बाद निकल रहे गंदे पानी को विश्व स्तरीय तकनीक के साथ ट्रीट करके उसका फिर से इस्तेमाल करने के साथ-साथ बागवानी के काम में भी लाया जा रहा है। इस तरह से पानी की बर्बादी को न्यूनतम कर दिया गया है। बांसल का मानना है कि जल संरक्षण को लेकर हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, तभी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध जल मुहैया कराया जा सकता है।

कनिका ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के तहत कनिका एक्सपो‌र्ट्स के लुधियाना व मध्य प्रदेश के इंदौर में यूनिट हैं। सुरभि फास्टनर में भी विश्व स्तरीय फास्टनर तैयार किए जा रहे हैं। भरत बांसल ने अपनी स्कूली शिक्षा आरएस मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बैंगलूरू के दयानंद सागर इंस्टीट्यूट से फार्मेसी में डिप्लोमा किया और फिर वर्ष 1995 में पारिवारिक बिजनेस ज्वाइन किया। परिवार का 1985 तक फूड एवं ग्रेन्स का बिजनेस था। इसके बाद फास्टनर-नट बोल्ट की ट्रेडिग भी साथ में शुरू कर दी। फिर 1995 में नया यूनिट लगा कर फास्टनर उत्पादों की मैन्युफैक्चरिग भी शुरू कर दी गई। पिता से सीखी कारोबार की बारीकियां

पारिवारिक बिजनेस संभालते ही भरत ने पहले कारोबार की बारीकियां अपने पिता से सीखी। ट्रेडिग, मैन्युफैक्चरिग, मार्केटिग, फाइनांस के अलावा खरीददारों के साथ बातचीत करना, उनके साथ डील करना समेत कारोबार के हर पहलु को समझा और फिर पिता के मार्गदर्शन में कारोबार को आगे बढ़ाना शुरू किया। घरेलू बाजार में कामयाबी मिलने के बाद ग्रुप ने वर्ष 2006-07 में फास्टनर उत्पादों का ओवरसीज मार्केट में निर्यात शुरू किया। क्वालिटी पर किया फोकस, कमिटमेंट को भी निभाया

भरत का कहना है कि शुरू से ही उन्होंने क्वालिटी पर फोकस किया और कमिटमेंट को अहम समझा। तभी बाजार में ग्रुप की विश्वसनीयता बनी और कारोबार को बेहतर रिस्पांस मिला। ग्राहक को उसके माल की वक्त पर डिलीवरी के साथ कंपनी के सप्लायर्स को वक्त पर पेमेंट करने को भी सर्वोपरि रखा। टीम वर्क के साथ काम करते हुए तेजी से कारोबार के हक में निर्णय लिए और सफलता हासिल की। शिक्षा दिलाने और बीमार बच्चों की करते हैं मदद

कारोबार के साथ साथ भरत ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझा। उन्होंने अपने माता-पिता के नाम पर संगठन प्रेम-उषा फाउंडेशन का गठन किया। इसके तहत आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा एवं बीमार बच्चों के इलाज में योगदान किया जाता है। संगीत सुनने और क्रिकेट व बास्केटबॉल का शौक

कंपनी आने वाले वक्त में पंजाब में नया यूनिट लगाकर अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी। इंदौर में भी नया यूनिट लगाने की योजना है। मेन्युफैक्चरिग को और बेहतर बनाने व तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों से भी संयुक्त उपक्रम के लिए बात चल रही है। भरत को संगीत सुनना एवं गाने के अलावा खेलों में क्रिकेट एवं बास्केटबाल का शौक है।


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