ब्रह्मलीन स्वामी भास्करानंद तीर्थ का निर्वाण दिवस मनाया
वेद मंदिर प्रांगण में ब्रह्मलीन स्वामी भास्करानंद तीर्थ म. का निर्वाण दिवस समारोह श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
संस, लुधियाना : भारत धर्म प्रचारक मंडल द्वारा वेद मंदिर प्रांगण में ब्रह्मलीन स्वामी भास्करानंद तीर्थ म. का निर्वाण दिवस समारोह श्रद्धापूर्वक मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता स्वामी निगम बोध तीर्थ ने करते हुए स्वामी भास्करानंद तीर्थ जी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प मालाएं अर्पित की। समारोह में भानुपुरा पीठाधीश्वर से शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ महाराज, स्वामी देवेश्वरानंद तीर्थ, स्वामी प्रणवानंद तीर्थ महाराज आदि संतजनों ने शामिल होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। स्वामी निगम बोध ने कहा कि स्वामी जी ने अपना सारा जीवन मानवता की सेवा करते हुए व्यतीत किया। उन्होंने कहा कि बिना पुंज नही मिले पुण्य फल और बिना पुण्य नही मिले संत। स्वामी श्री देवेश्वरानंद तीर्थ जी ने कहा कि जिनका चरित्र ऊंचा होता है उनके चित्र भी पुजे जाते हैं। समारोह में 150 दण्डी स्वामी सन्यासियों को भोजन वस्त्र दक्षिणा भेंट की गई।
यहां विश्न सरुप चोपड़ा, शिवराम, मोहनी भार्गव, जगदीश शर्मा, बिट्टू प्रभाकर, चिरंजी लाल शर्मा, राम रत्न शर्मा, हरिओम सहगल, विक्की गुगलानी, अशोक शर्मा बोबी, पं. दीप वशिष्ठ, प्रदीप कालिया, बलदेव चोपड़ा, चरणजीत भार्गव, दिनेश टंडन, राजिन्द्र कपूर, सतीश अरोड़ा, नरेश शर्मा, विनोद सहगल, विनोद पुरी, गौतम शर्मा, चेतन शर्मा, तुषार धवन, पार्षद पति विपन विनायक, विनय धीर, कुमार संजीव, अशोक जैन, अनुज मदान, महेश शर्मा, उमा दत्त शर्मा, विनय आध्या आदि उपस्थित हुए। अयोध्या में राम का निवास : शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ
मानव सेवा से बड़ा कोई परोपकार नहीं है। इसलिए समाज के दीन दुखियों की सेवा कर उनसे प्रेम व भाईचारा बढ़ाने से प्रभु की अपार कृपा प्राप्त होती है। यह बात शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने वेद मंदिर प्रांगण में कही। इस अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ व शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ संतों का मधुर मिलन हुआ। जिसमें धर्म के प्रचार व प्रसार बारे बातचीत हुई। शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ म. ने कहा कि अयोध्या में राम का निवास है, राम मंदिर बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अच्छा निर्णय दिया है, जो कि सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कुछेक लोग दुबारा पिटीशन के बात कर रहे है, वह निदंनीय है।