19 साल की युवती के पेट से निकली ऐसी चीज, डॉक्टर और परिवार वाले भी रह गए दंग Ludhiana News
साहनेवाल की रहने वाली एक 19 साल की युवती के पेट से डेढ़ किलोग्राम का बालों का गुच्छा निकाला गया है।
लुधियाना, जेएनएन। सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने सर्जरी कर साहनेवाल की रहने वाली एक 19 साल की युवती के पेट से डेढ़ किलोग्राम का बालों का गुच्छा निकाला है। युवती पिछले तीन साल से पेट में दर्द की शिकायत से जूझ रही थी। ढाई साल तक तो युवती के परिजनों ने पेट दर्द की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन इस साल जब पेट का दर्द अधिक हो गया।
परिजन इलाज के लिए युवती को सिविल अस्पताल की ओपीडी में मेडिसन विभाग में लेकर पहुंचे। जहां मेडिसन विभाग ने कुछ दिन तो दवाएं दी। लेकिन जब दवाओं से जब दर्द कम नहीं हुआ तो स्कैनिंग करवाई गई। जिसमें युवती के पेट में बड़ा सा गुच्छा दिखाई दिया। इसके बाद मेडिसन विभाग ने युवती को सर्जरी के लिए सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया। मंगलवार को सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. वरुण सग्गड़ व डॉ. मिलन वर्मा ने एनीथिशिएट की टीम के साथ एक घंटे के ऑपरेशन के दौरान युवती के पेट से डेढ़ किलो वजनी बालों का बड़ा गुच्छा निकला।
ट्राइकोफेजिया से पीड़ित है युवती
डॉ. वरूण सग्गड़ के अनुसार युवती ट्राइकोफेजिया बीमारी से पीड़ित है। ट्राइकोफेजिया बीमारी उन्हें होती है, जो अकेलेपन का शिकार और अत्याधिक तनाव में हो। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अपनी घबराहट, बेचैनी, टेंशन को कंट्रोल नहीं कर पाते और अपने बाल उखाड़ने लगते हैं। बाल उखाड़कर अच्छा महसूस होता है। ज्यादा स्ट्रेस में आ जाते हैं, तो सिर के बाल खाना शुरू कर देते हैं। न पचने वाले बाल सालों तक धीरे धीरे पेट में इकट्ठे होते रहते हैं। जैसे जैसे बालों के इस गोले का साइज बढ़ता है। पेट दर्द, खाना नहीं खा पाना, उल्टियां होने की दिक्कत पैदा होती है। इसे शरीर से बाहर निकालने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं, लेकिन अधिकतर मौकों पर ऐसा प्रभावी नहीं होता है। ऐसे में सिर्फ सर्जरी ही विकल्प बचता है। डॉ. वरूण सगग्ड़ के अनुसार जब बालों का गुच्छा बन जाता है, तो उसे ट्राइकोबेजार कहा जाता है। जबकि बाल चबाने की आदत को ट्राइकोफेजिया बीमारी कहते है। यह बीमारी ज्यादातर यंग लड़कियों में होती है।
बालों का गुच्छा देखकर परिवार रह गया दंग
डॉ. वरूण सग्गड़ ने कहा कि परिजनों को नहीं पता था कि उनकी बेटी बाल भी खाती है। परिजनों का कहना था कि उन्होंने अपनी बेटी को मिट्टी, चॉक व सलेटी खाते हुए तो देखा था। लेकिन बाल खाते हुए कभी नहीं देखा। परिजन काफी हैरान थे। जबकि युवती ने बताया कि वह तीन साल से बाल खा रही थी।
बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए यह करें
- बच्चे रोजाना सात से आठ घंटे की नींद लें।
- बच्चा घर में है, तो अभिभावक उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं।
- बच्चों के सोने वाली जगह जैसे कि बेडशीट, सिरहाने, कपड़ों में ज्यादा बाल नजर आएं, तो इसे हल्के में न लें।
- बच्चे की भूख कम हो जाए या खाना खाने के बाद उल्टी आए, तो इसे हल्के में न लें।
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