बदमाशों से ज्यादा अब बेसहारा पशुओं से लगता है डर, कई लोग गंवा चुके हैं जान Ludhiana News
सरकार गोसेस तो ले रही है पर इन पशुओं को उठाकर गोशालाओं में नहीं भेज रही। सरकार और प्रशासन की वजह से जनता आफत में है।
जगराओं, [बिंदु उप्पल]। हर जिले में बेसहारा पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। सड़कों पर घूम रहे ये पशु लोगों के लिए जानलेवा बन चुके हैं। रोज कहीं न कहीं इनकी वजह से हादसे हो रहे हैं। कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तो कई गंभीर घायल हो चुके हैं। विभिन्न संगठनों की ओर से इन पशुओं की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष किया जा चुका है पर प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। सरकार गोसेस तो ले रही है पर इन पशुओं को उठाकर गोशालाओं में नहीं भेज रही। सरकार और प्रशासन की वजह से जनता आफत में है। कुछ ऐसा ही हाल जगराओं में भी है।
सड़कों-गलियों में घूम रहे पशुओं ने लोगों का जीना मुश्किल किया हुआ है। झुंड में चलते हुए ये सांड सड़कों पर अकसर देखे जा सकते हैं। कई बार ये सांड सड़कों पर आपस में झगड़ने लग जाते हैं। ये पशु वहां से गुजर रहे लोगों पर भी हमला कर देते हैं। ऐसे में उनकी दहशत इस कदर है कि लोगों का कहना है कि बदमाशों, झपटमारों से तो व्यक्ति मुकाबला कर सकता है पर ये जानलेवा बने पशुओं से अब अधिक डर लगता है। इन पशुओं की दहशत इस कदर बढ़ गई है कि लोग बाजारों में इनको देखकर अपना रास्ता ही बदल लेते हैं। शहर के लोगों की मांग है कि नगर कौंसिल इस समस्या का स्थायी हल करे और सड़कों पर घूम रहे इन पशुओं को गोशाला में पहुंचाया जाए ताकि लोगों जानमाल का नुकसान न हो।
सरकार टैक्स लेना जानती है, सुविधाएं देना नहीं: बूटा सिंह
कामरेड और किसान बूटा सिंह चक्र ने बताया कि बेसहारा पशु सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं और फसलों को बर्बाद करते हैं। सरकार टैक्स लेना जानती है पर सुविधाएं देना नहीं। उन्होंने बताया कि गाव चक्र के लोगों ने वर्ष 2016 में जगराओं एसडीएम दफ्तर के बाहर एक महीना इन बेसहारा पशुओं से परेशान होकर धरना लगाया था, लेकिन बेसहारा पशुओं के रख-रखाव के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
दूध नहीं देने वाले पशुओं को लोग शहरों में छोड़ देते हैं
नंबरदार यूनियन के जिला प्रधान परमिंदर सिंह चाहल गालिब कला का कहना है कि डेयरी पालक उन पशुओं को ट्रालिया में लाकर शहरों में छोड़ देते है जो दूध देना बंद करे देते हैं। या फिर इनमें अधिकतर साड होते हैं। ये पशु शहर और गावों में भी सड़क हादसों का कारण बनते हैं। अब बेसहारा पशुओं की गिनती बहुत बढ़ गई है। इस समस्या पर काबू पाने की जरूरत है।
राहगीरों को चपेट में ले लेते हैं ये पशु
प्रोफेसर कर्म सिंह संधू ने कहा कि शहर के बाजारों और हाईवे पर जाते समय अकसर इन बेसहारा पशुओं को झगड़ते देखा है। इस दौरान उनकी चपेट में जो भी आता है, उसका नुकसान ही होता है। इससे कई का जानी नुकसान तो होता ही है, साथ ही उन्हें अपाहिज भी बना देता है। प्रशासन को इस समस्या का हल करना चाहिए।
प्रशासन पहल पर समस्या का हल करे
शहरवासी राजन बांसल ने कहा कि ये बेसहारा पशु दिन में तो घूमते ही हैं, साथ ही रात को ये सड़कों पर बैठे रहते हैं। अंधेरा होने के कारण ये नजर नहीं आते और वाहन चालक उनसे टकराकर हादसे का शिकार हो जाते हैं। सरकार गो सेस लेती है इसलिए नगर कौंसिल और जिला प्रशासन को इस समस्या का पहल के आधार पर हल करना चाहिए।
विकराल हो रही यह समस्या: कंवलजीत सिंह
शहर के कंवलजीत सिंह खन्ना ने कहा कि सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। रोज कहीं न कहीं पशुओं के कारण हो रहे हादसे की खबर सुनने-पढ़ने को मिलती है। हमारे जिले में भी यह समस्या अब विकराल होती जा रही है। प्रशासन को इससे निजात के लिए कदम उठाना चाहिए।
ये वो मामले जो शहर में सबसे अधिक चर्चा में रहे
केस 1 : वर्ष 2016 में अक्टूबर महीने में शहर के गालिब पेट्रोल पंप के पास सामने बेसहारा पशु आने से उसमें स्कूटर सवार कुलदीप सिंह पुत्र बेअंत सिंह टकरा गया था। उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वह हलवाई की दुकान करता था और परिवार का सहारा था। पर सरकार से कोई मुआवजा या मदद नहीं मिली। नतीजा वहीं, प्रशासन की लापरवाही से परिवार का एक सदस्य इस दुनिया को छोड़कर चला गया। तब भी संगठनों ने संघर्ष कर इस समस्या का हल करने की मांग की पर कुछ नहीं हुआ।
केस 2 : पिछले दिनों गाव सोईया चौक में एक बेसहारा पशु मरा हुआ था। उसे सड़क से प्रशासन ने नहीं उठवाया। तभी वहां से बाइक पर गुजर रहे सरकारी टीचर बलराम सिंह उस पशु से टकराकर गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। बाद में शिक्षकों ने प्रदर्शन किया और मांग की कि जिस भी विभाग की लापरवाही से यह हादसा हुआ और पशु को वहां से नहीं उठवाया गया, उन पर कार्रवाई की जाए। तभी उन्हें अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन ही मिला। ठोस कदम नहीं उठाए गए।
नगर कौंसिल के पास नहीं कोई सरकारी जगह
हमें जो सरकारी निर्देश आते हैं वैसे ही काम करते हैं। कौंसिल के पास कोई सरकारी जगह नहीं जहां बेसहारा पशुओं को पकड़कर रखा जा सके। यदि शहर की कोई संस्था जो गोशाला चलाती है, वो बेसहारा पशु रखने को तैयार हो जाती है तो उनको पशु पकड़ कर दे दिए जाते हैं।
-सुखदेव सिंह रंधावा, ईओ
हां यह गंभीर समस्या, रिपोर्ट मांगी है: एसडीएम
हां, यह समस्या गंभीर होती जा रही है। बेसहारा पशु सड़क दुघर्टनाओं का कारण बन रहे हैं। सड़कों से इन पशुओं को उठाकर गोशाला में भिजवाने की जिम्मेदारी नगर कौंसिल की है। उनसे बेसहारा पशुओं के रख-रखाव को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है।
-डॉ. बलजिंदर सिंह ढिल्लों, एसडीएम जगराओं।