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बीमा कंपनी ने रद किया मेडिकल क्लेम, अब देना पड़ेगा 20 हजार हर्जाना Ludhiana News

हर्जाने के साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को 10 हजार रुपये बतौर केस खर्च भी एक माह के भीतर अदा करने का निर्देश दिया है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 10:18 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 10:18 AM (IST)
बीमा कंपनी ने रद किया मेडिकल क्लेम, अब देना पड़ेगा 20 हजार हर्जाना Ludhiana News
बीमा कंपनी ने रद किया मेडिकल क्लेम, अब देना पड़ेगा 20 हजार हर्जाना Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। जिला उपभोक्ता फोरम ने एक शिकायत का निपटारा करते हुए बीमा कंपनी अपोलो म्यूनिक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, गुडग़ांव की तरफ से मेडिक्लेम रद करने के निर्णय को गलत ठहराया है। उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिए बीमा कंपनी को 20 हजार रुपये हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को 10 हजार रुपये की राशि बतौर केस खर्च भी अदा करने का निर्देश देते हुए उन्हें बकायदा एक माह के भीतर ही शिकायतकर्ता के क्लेम आवेदन पर विचार करने का भी आदेश दिया है। बनती राशि 30 दिन में अदा करने का आदेश दिया है। अन्यथा 8 प्रतिशत ब्याज भी देने पड़ेगा।

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शिकायतकर्ता दशमेश नगर निवासी प्रभा गुप्ता ने फोरम के समक्ष दायर शिकायत में आरोप लगाया कि उन्होंने अपोलो म्यूनिक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपनी हेल्थ पॉलिसी ली थी। उनके मुताबिक दो जुलाई 2015 को वो अपने घर में गिर गई, जिसके चलते उसे कई जगह चोटें लगीं और उसे बाकायदा अपने इलाज के लिए अपोलो सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल में दाखिल भी होना पड़ा, जिस पर उसका 35 हजार 19 रुपये का खर्च आया। इसके अलावा उसने दवाइयों पर भी खर्च किया। शिकायतकर्ता ने मेडिक्लेम लेने के लिए कंपनी के पास आवेदन किया, जिसे कंपनी ने नामंजूर कर दिया।

दूसरी ओर कंपनी ने फोरम के समक्ष अपनी दलीलों में कहा कि उन्होंने नियमों के अनुसार ही शिकायतकर्ता के क्लेम को रद किया था। कंपनी वालों का कहना था कि उपभोक्ता की तरफ से पेश किए गए दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि उक्त अस्पताल में उनका कोई उपचार नहीं किया गया। बल्कि उन्हें सिर्फ आराम करवाया गया। इन्वेस्टिगेशन में पॉलिसी के मुताबिक क्लेम नहीं दिया जा सकता। फोरम के अध्यक्ष जीके धीर व जयोत्सना थाथाई ने दोनों पक्षों की दलीलों एवं बहस सुनने के बाद कंपनी द्वारा नामंजूर किए गए क्लेम को गलत ठहराते हुए जहां उन्हें शिकायतकर्ता के क्लेम आवेदन को एक माह के भीतर जांच कर उसकी राशि शिकायतकर्ता को अदा करने का फैसला सुनाया। वहीं, उन्होंने कंपनी की सेवाओं में कमी के चलते शिकायतकर्ता को हुई परेशानी पर कंपनी को 20 हजार रुपये बतौर मानसिक परेशानी व 10 हजार रुपये केस खर्च की राशि शिकायतकर्ता को अदा करने का आदेश दिया है।

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