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आत्मा में अनंत शक्ति का खजाना: अचल मुनि

अचल मुनि म. ठाणा-5 ने कहा कि आत्मा में अनंत शक्ति का खजाना भरा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 07:59 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 07:59 AM (IST)
आत्मा में अनंत शक्ति का खजाना: अचल मुनि
आत्मा में अनंत शक्ति का खजाना: अचल मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में करवाई गई प्रवचन सभा में ओजस्वी वक्ता गुरुदेव अचल मुनि म. ठाणा-5 ने कहा कि आत्मा में अनंत शक्ति का खजाना भरा हुआ है। इन शक्तियों का सदुपयोग करें। हमारी ज्यादातर ऊर्जा इन इंद्रियों से खराब हो रही है। अत: इन इंद्रियों का सदुपयोग करें। मानव के पास पांच इंद्रियां है, कान, आंख, नाक, जीभ व त्वचा। कानों से कभी किसी की निदा चुगली न सुने। निदा करने से ज्यादा पाप निदा सुनने वाले को लगता है। उन्होंने कहा कि अगर आपको निदा सुनने में आनंद आता है तो कृपा मेरा एक सुझाव माने। अपने कान के आगे लिखवा ले कूड़ादान और ऊपर लिख लें कृपा मेरा प्रयोग करें। अर्थात निदा करने वाला अपना कचरा अपने घर से निकाल कर आपके घर में डाल रहा है।

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उन्होंने कहा कि इन आंखों को भी थोड़ा कंट्रोल करें। यह आंख बड़ी नालायक है। किसी से लड़ जाए तो दुख देती है, किसी से भिड़ जाए तो भी दुख देती है। जिदगी में अधिकतर गड़बड़ इसी आंख से शुरू होती है। डंडे भले ही पीठ पर पडे़ आंसू तो आंख से ही निकलते है। यह आंख झुक जाए तो हया बन जाती है व उठ जाए तो दुआ बन जाती है। आंख के बडे़ कारनामे है। बाहर की आंख बंद हो इससे पहले भीतर की आंख खुल जानी चाहिए। वरना इतिहास में तुम्हारा नाम अंधों की सूची में दर्ज होगा। कभी भी टीवी देखते हुए भोजन और अखबार पढ़ते हुए चाय न पीएं। क्योंकि इससे हमारे अंदर अश्लीलता आती है।

कभी किसी को कड़वा न बोलें

नाक का कभी गलत प्रयोग न करे। इसके साथ ही जीभ से किसी को कड़वा न बोलें। जीभ के कारण ही आज शुगर, बीपी, कैंसर जैसी भयानक बीमारियां पैदा होती है। शुगर के नाम से ही आज इंसान इतना घबरा गया है कि मीठा खाने के साथ-2 मीठा बोलना भी छोड़ दिया है। देखो पर तको मत

खाओ पर छको मत, देखो पर तको मत, बोलो पर बको मत। इस दौरान अतिशय मुनि ने कहा कि सीता मां ने अपने जीवन में लक्षमण रेखाओं को ओर तोड़ा था। सोने का मृग देखकर उसकी मांग की। जब घर परिवार, राज्य ही छोड़ दिया, फिर सोने की डिमांड ठीक नहीं। लक्ष्मण जी से दु‌र्व्यवहार किया। उनके चरित्र पर उंगली उठाई। संत की सेवा मर्यादा से रहकर करती। संत की सेवा अगर मर्यादा में रहकर करोगे तो आपका भी नाम ऊंचा उठेगा।


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