वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी..
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी..। बचपन के दिन याद आ गए।
जासं, लुधियाना : वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी..। जाने-माने दिवंगत गजल गायक जगजीत सिंह की यह गजल हर व्यक्ति को उसके बचपन के दिनों की याद ताजा कर देती हैं जब वे दोस्तों के साथ बारिश में भीगते और मस्ती करत थे।
एक समय था जब बारिश के दौरान स्कूल या घर के बाहर गली में पानी भरने पर उसमें कागज की नाव चलाते थे और फिर उसे निहारते थे। पानी में नाव जैसे-जैसे आगे बढ़ती थी, तब खुशी से झूम उठते थे। पर अब न कागज की कश्ती दिखती है और न ही बारिश के पानी में कश्ती चलाने वाले बच्चे। इस डिजिटल युग में अब बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन आ गए हैं। वे बारिश में मस्ती करने की बजाय मोबाइल पर गेम खेलने में अधिक व्यस्त रहते हैं।
हालांकि वीरवार को शहर के वसंत विहार स्थित बीसीएम किडर गार्टन स्कूल में बच्चे कागज की किश्ती बना उसे पानी में चलाते दिखे। वे पानी में खूब मस्ती करते दिखे। वे खेलकूद भी कर रहे थे। इसका उद्देश्य प्री स्कूल के बच्चों को बारिश का महत्व बताने के लिए प्रैक्टिकल एक्टिविटी करवाना था। बच्चों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने काफी देर तक बारिश को इंज्वाय किया। खेल-खेल के जरिए बताया बारिश का महत्व
बीसीएम किडर गार्टन स्कूल की प्रिसिपल ने बताया कि बच्चों को खेल-खेल में बारिश की जानकारी दी गई। बच्चों को बताया गया कि बारिश कैसे होती है। नाव बनाकर उसे बारिश के पानी में चलाकर उन्हें इसका महत्व बताया गया। उन्होंने कहा कि खेल-खेल में दी गी जानकारी से बच्चे जल्दी सीखते हैं। प्री स्कूलों में इस तरह के आयोजन का बना ट्रेंड
प्री स्कूल गाइज एंड डॉल्स के डायेक्टर आयूष सेखड़ी कहते हैं कि प्री स्कूल में अब काफी आधुनिक हो गए हैं। पहले इस तरह के सीजन या अन्य बातों को स्कूलों में बड़ी कक्षाओं में पहुंच जानकारी मिलती थी, लेकिन अब प्री स्कूल आधुनिक हो गए हैं। अब प्री स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को हर तरह से परिपक्व बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि स्कूल स्टडी के सिस्टम को आधुनिक बनाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। इस तरह के आयोजन आजकल ट्रेंड बन चुके हैं।