दुनिया में रहिए, प्यार भी करिए पर आसक्ति मत रखें
एसएस जैन सभा सुंदर नगर के तत्वाधान में चल रही प्रवचन सभा में गुरुदेव श्री अचल मुनि म. ठाणे-5 ने फरमाया कि मेरा मेरा ये जग चिडिया रैन बसेरा। आज इंसान को घोर भाव छाया हुआ है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा सुंदर नगर के तत्वाधान में प्रवचन सभा जारी है। गुरुदेव श्री अचल मुनि म. ठाणे-5 ने कहा कि आज इंसान को घोर भाव छाया हुआ है। एक पक्षी भी कभी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए घोंसला नहीं बनाता। पर इंसान तो 7-7 पीढि़यों की चिता में लगा रहता है। उन्होंने कहा कि चार प्रकार की भावनाएं होती हैं। मेरा सो मेरा। तेरा सो तेरा। ये भावना अच्छी है। अगर इस भावना में जिदगी चलती रहे तो कभी संसार में झगड़ा नहीं होगा। तेरा सो मेरा- तेरा भी मेरा ये राक्षसी भावना है। इस भावना के कारण क्लेश व झगड़े है। तेरा सो तेरा-मेरा भी तेरा। ये देवी भावना है। इस प्रकार की भावना से हमें देव गति प्राप्त होती है। न तेरा न मेरा। ये जग चिड़िया रैन बसेरा। दुनिया में व्यक्ति को आया की तरह रहना चाहिए। आया बच्चे को उवटन करती है, दूध पिलाती है, पुचकारती है, खिलाती है और प्यार देती है। पर एक दिन किसी बात पर मालिक नाराज हो जाता है। तब उसे कहता है कि तूं अपना हिसाब कर ल और चली जा। वह अिपना बोरिया, बिस्तर बांधकर चल देती है। फिर वह उस बच्चे के लिए रोती नहीं है। दुनिया में रहिए। प्यार भी करिए, मगर आसक्ति मत रखिए। आसक्ति ही जो आ सकती है पर जा नहीं सकती। संसार तो एक सराए के समान है। जहां से एक जाता है और दूसरा आता है। दूसरा जाता है, तो तीसरे के आने की तैयारी है। कहने का मतलब आवागमन चलता रहता है। इस दौरान शीतल मुनि ने कहा कि अगर शांति के राह पर चलोगे तो शांति अवश्य प्राप्त होगी। निखिल मुनि म. ने अपने मधुर भजनों से सभा को मंत्रमुंग्ध कर दिया।