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नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार के सराहनीय फैसले : अजीत लाकड़ा

सुपरफाइन निटर्स लिमिटेड के मैने¨जग डायरेक्टर अजीत लाकड़ा का कहना है कि पिछले पांच साल उद्योग जगत के लिए बेहतर साबित हुए हैं।

By Edited By: Published: Sun, 12 May 2019 07:28 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 10:23 AM (IST)
नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार के सराहनीय फैसले : अजीत लाकड़ा
नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार के सराहनीय फैसले : अजीत लाकड़ा
जासं, लुधियाना। सुपरफाइन निटर्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत लाकड़ा का कहना है कि पिछले पांच साल उद्योग जगत के लिए बेहतर साबित हुए हैं। खास कर संगठित क्षेत्र के उद्योगों ने ग्रोथ दर्ज की है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी दो सराहनीय फैसले लिए। देश में पहले समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही थी। नोटबंदी के बाद सारी रकम बैंकों में आ गई। दूसरे देश में डिजिटल पेमेंट का चलन एकदम से बढ़ा। अब बाजार में चल रही सारी करेंसी पर सरकार की पूरी गणना है। इसके बाद सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर को लागू कर दिया। एक साहसिक कदम रहा। इससे बिजनेस करना बेहतर हुआ है। खास कर उत्पादों की मूवमेंट काफी तेज हो गई है। जीएसटी को समझने में उद्योग को थोड़ा वक्त लगा। अब सिस्टम पूरी तरह से स्मूथ हो गया है। सरकार ने सिस्टम भी अपग्रेड किए, सॉफ्टवेयर भी अपडेट किए गए। उद्यमियों को रिफंड भी वक्त पर मिल रहे हैं। जीएसटी से कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप कम हो गया है। दूसरे उद्यमियों को अब पहले के मुकाबले कम टैक्स देना पड़ रहा है। जीएसटी से सरकार के राजस्व में भी इजाफा हुआ है।

जीएसटी अच्छा, लागू करने में दिखाई जल्दबाजी : कपिल जोशी
जोशी निटवियर्स के डायरेक्टर और लुधियाना व्यापार मंच के प्रेसिडेंट कपिल जोशी का तर्क है कि नोटबंदी ने पूरा कारोबार चौपट कर दिया। बाजार से नकदी एकदम से गायब हो गई। इससे बिक्री धरातल पर आ गई। दूसरा इससे सरकार भी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को लागू कर दिया। जीएसटी वैसे अच्छा है, लेकिन इसे पूरी तैयारी के बिना जल्दबाजी में लागू किया गया। जीएसटी को काफी पेंचीदा बनाया गया। इसे समझने में दिक्कतें आई। इससे भी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसके बाद जीएसटी में सरकार ने बार-बार संशोधन किए। दूसरा सरकार ने रिटर्न भरने का सिस्टम भी काफी कठिन बना दिया। हालांकि इसे सरल बनाया जा रहा है, लेकिन अभी भी काफी गुंजाइश है। उनका मानना है कि जीएसटी को हौव्वा न बनाया जाए, इसे इंडस्ट्री फ्रेंडली बनाया जाए।

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