प्रभु की भक्ति में बिताएं जीवन : गिरि
स्नेह बिहारी मंदिर जलोखाना कंप्लेक्स में सत्संग करवाया गया।
संवाद सहयोगी, कपूरथला : स्नेह बिहारी मंदिर जलोखाना कंप्लेक्स में गीता रामायण प्रवचन शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस मौके पर प्रवचन करते हुए स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि मानव तन सर्वोत्तम है। शरीर ही स्वर्ग-नर्क और मोक्ष की सीढ़ी है और कल्याण, ज्ञान-वैराग्य और भक्ति को देने वाला है। मनुष्य शरीर धारण करके भी जो लोग श्री हरि का भजन नहीं करते वह पारस मणि हाथ से फेंक देते हैं और बदले में कांच के टुकड़े लेकर घूमते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि संत संसार की भलाई के लिए पीड़ा सहते हैं। जैसे चंद्रमा और सूर्य का उदय विश्व भर के सुख व खुशियों के लिए होता है, ऐसे ही संत का जन्म जगत कल्याण के लिए ही होता है। वेदों में अहिसा को परम धर्म माना है, और दूसरों की निदा के समान भारी कोई और पाप नहीं है।
स्वामी जी ने कहा कि ममता, हर्ष और विषाद रोगों की तरह है। पराया धन को देखकर ईष्र्या करना, दूसरों को परेशान करना, अहंकारी होना बीमारी के समान है। स्वामी जी ने बताया कि एक ही रोग के अधीन होकर मानव की मृत्यु हो सकती है फिर अवगुण जैसे बहुत से असाध्य रोग मनुष्य को निरंतर कष्ट देते रहते हैं, ऐसी दशा में शांति को कैसे प्राप्त हो।
महाराज ने कहा इष्ट देव के चरणों का निरंतर चितन और निष्काम भाव से गाय और गरीबों की सेवा करने से रोगों से छुटकारा मिल जाता है। सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्रवचन का लाभ उठाया। स्वामी जी आज पटियाला के लिए रवाना हो जाएंगे।