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लड़कियों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रमुख रहेंगे तैनात

जले के सरकारी व निजी स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग सर्तक है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 10:02 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 10:02 PM (IST)
लड़कियों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रमुख रहेंगे तैनात
लड़कियों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रमुख रहेंगे तैनात

जागरण संवाददाता, कपूरथला : जिले के सरकारी व निजी स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग काफी सर्तक हो गया है। स्कूल खुलने से पहले और छुट्टी होने के बाद लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रिंसिपल व स्कूल प्रमुख की रहेगी। जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से पहले ही आठ सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के सदस्य हर स्कूल के प्रमुखों से बैठक कर उन्हें सुरक्षा के लिए सर्तक करते हैं। जिले में 255 सरकारी मिडल, हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूल है जिसमें करीब 34 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। इनमें करीब 17 हजार 359 लड़कियां पढ़ती है। जिला उप शिक्षा अधिकारी बिक्रमजीत सिंह थिद ने बताया कि इन दिनों सुबह 10 बजे स्कूल लगता हैं। प्रत्येक स्कूल प्रमुख को सवा नौ बजे तक स्कूल में पहुंचने की हिदायत दी गई है। इनकी सुबह के समय स्कूल में सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती है। इसके अलावा गांवों की स्कूल कमेटियों के सदस्य भी सुबह के समय स्कूलों में सुरक्षा की निगरानी करते है।

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सरकारी ग‌र्ल्स सीनियर सेंकेडरी स्कूल घंटा घर की पूर्व प्रिंसिपल प्रोमिला अरोड़ा का कहना है कि हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पड़ने वाले बच्चों की सुरक्षा की तरफ ध्यान देना बहुत जरुरी होता है। शिक्षकों की तरफ से समय समय पर उन्हें जागरूक किया जाता है। इंटरनेट व सोशल मीडिया की वजह से बच्चों का ज्यादा विकास होता है और उन्हें बरगलाया भी आसानी से जा सकता है। शिक्षक और अभिभावक का कर्तव्य बन जाता है कि वह इस आयु के बच्चों पर विशेष तौर पर निगरानी रखें।

डिप्टी डीईओ बीएस थिद का कहना है कि जिले में ऐसी कोई अप्रिय घटना नही हुई है जिसका श्रेय जिम्मेदार स्कूल प्रमुख व अध्यापकों को जाता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग की तरफ से हर शनिवार बच्चों को अध्यापकों की ओर से जागरूक किया जाता है।

उधर मोहब्बत नगर निवासी बच्ची की माता कंचन का कहना है कि समाज में ऐसी घटनाओं के बारे सुन कर बहुत डर लगता है। लेकिन बच्चों को घर में रख कर पढ़ाई से वंचित भी नही किया जा सकता है। खास तौर पर बच्चियों के अभिभावकों को तो चौकस रहने की जरुरत है। वह अकसर अपनी बेटी को समझाती रहती है लेकिन बच्चों को एक लिमिट में ही कहा जा सकता है।


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